बाबे की वाणी (हिन्दी अनुवाद सहित) : लोकवाणी ने बाबा रामदेवजी को अपनी श्रद्धा से पिछम धरा के बादशाह, हिन्दीवाणी सूरज, लीले रा असवार, धवली धजा रा धणी, पिछम रा पीर, अलख धणी और निकलंक नेजाधारी इत्यादि कई विशेषणों से अलंकृत किया है। इन विशेषणों के अनुसार बाबा रामदेवजी के कई नाम और रूप है परन्तु आज के इस विकट युग में बाबा रामदेवजी का व्यक्तित्व एवं अहिंसावादी महान् युग-पुरुष के रूप में अत्यंत प्रेरणादायी और हर प्रकार से महत्वपूर्ण है। भव्य व्यक्तित्व और दिव्य कर्तृत्व के स्वामी बाबा रामदेवजी निःसन्देह सत्य और अहिंसा के पुजारी एवं अद्वितीय समाजोद्धारक के रूप में आज भी परमपूज्य, प्रेरक तथा अनुकरणीय है।
बाबा रामदेवजी का दिव्य और विराट व्यक्तित्व शक्ति, साधना एवम् सेवा का त्रिवेणी संगम है। उनकी शक्ति दिव्य है, साधना मंगलमयी और सेवा साम्यभाव प्रधान तथा अनुकरणीय है। उनके एक हाथ में शक्ति तथा शूरवीरता का प्रतीक भाला (नेजा) है, किन्तु वे अहिंसा के पुजारी हैं, इसलिए उनका ‘नेजा’ (भाला) निष्कलंक है, रक्त की एक बून्द भी उनके भाले के कभी नहीं लगी। यही कारण है कि वे – ‘निकलंक नेजधारी’ के विशेषण से विख्यात हैं। उनके दूसरे हाथ में ‘तन्दूरा’ है, जो संतों का प्रिय वाद्ययन्त्र है, इसी पर वे संतवाणी का गायन करते हैं। उन्होंने अपनी बांणियों में गुरु महिमा का प्रतिपादन किया, आध्यात्म का उपदेश तथा योग-साधना का शिक्षण दिया।
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