उत्तरी राजस्थान में कृषक आन्दोलन : राजस्थान का इतिहास लेखन अभी तक राजाओं और उनकी शासन-व्यवस्था तक ही मुख्यतः सीमित रहा है। कुछ कार्य राजस्थान की सामाजिक व आर्थिक स्थिति पर भी हुआ है। परन्तु सामान्य जन और उनके कृत्यों पर अभी तक बहुत कम विद्वानों ने लेखनी चलाई है और राजस्थान के किसानों के बारे में तो एक दो ग्रंथ ही देखने को मिलते हैं। बिजोलिया किसान आन्दोलन पर शंकर सहाय सक्सेना व डॉ. पद्मजा शर्मा की कृति व शेखावाटी किसान आन्दोलन पर मेरी कृति ही उल्लेखनीय है, जबकि राजस्थान की सारी रियासतों में व्यापक रूप से किसान आन्दोलन हुए थे। इस कमी की पूर्ति के लिए मैंने बीकानेर में हुए किसान आन्दोलन को विषय के रूप में चुनकर इस पर शोध कार्य किया है। आजादी के पूर्व बीकानेर राज्य का करीब 68 प्रतिशत हिस्सा जागीरदारों के अधिकार में था और महाराजा का सीधा शासन तो केवल 32 प्रतिशत भाग पर ही था। जागीरदार लोग अपने इलाके में किसानों का मनमाना शोषण करते थे और ऊँचे लगान के अलावा बेगार व सैकड़ों तरह की लाग-बागें (अन्य कर) वसूल करते थे। बीकानेर के किसानों में जागृति आने के बाद वे बीकानेर राज्य प्रजा परिषद के निर्देशन में अहिंसात्मक व संवैधानिक तरीके से संघर्ष करके जागीरदारों के शोषण से किस तरह मुक्त हुए और खुली हवा में सांस ले सके, इसका विस्तार से वर्णन इस शोध ग्रंथ में किया गया है, जो राजस्थान में हुए किसान आन्दोलन के इतिहास का एक महत्वपूर्ण व रोचक अध्याय है।
Uttari Rajasthan mein Krishak Aandolan
उत्तरी राजस्थान में कृषक आन्दोलन
Author : Dr. Pemaram
Language : Hindi
ISBN : 9788186103031
Edition : 2015
Publisher : RG GROUP
₹300.00
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