जरायुर्वेद (वृद्धावस्था के रोग एवं उपचार) : मनुष्य या कोई भी जीवित प्राणी वृद्ध क्यों होता है अर्थात् वार्द्धक्य क्यों आता है, यह आज भी गूढ़ विषय है। आधुनिकचिकित्सा विज्ञान में वार्धक्य सम्बन्धी कई सिद्धान्त उपस्थापित किये गये हैं परन्तु उनमें से कोई भी एक सर्वेमान्य सिद्धान्त नहीं है, पर इतना अवश्य है कि इन विविध हेतु सिद्धान्तों के तर्क एक तथ्य का संकेत करते हैं कि वार्थक्य एक बहु-आयामी प्रक्रिया है, जिसमें आनुवंशिकी, पर्यावरणीय भाव तथा व्याधिक्षमत्वक धूरियाँ अहं भूमिका निभाती हैं।
वस्तुत: जरा का पोषणक्रम से सीधा सम्बन्ध है। पोषणक्रम की घटती कार्मुकता के साथ-साथ जैविक धातुओं के विशेष गुणों का ह्रास होने लगता है और जरा के लक्षण प्रकट होने लगते हैं । रसायन सेवन पोषणक्रम की गुणवता नियोजन के माध्यम से ही जराजन्य ह्रास की परिपूर्ति करता है।
आयुर्वेद का रसायनतंत्र एक अत्यन्त विकसित विधा है, जो धातु-पोषण की प्रक्रिया पर आधारित है और धातुओं के विधिवत् पोषण व नवनिर्माण से जराप्रवृति पर नियंत्रण किया जा सकता है।
Jarayurved (Vardhavastha ke Rog evam Upchar)
जरायुर्वेद (वृद्धावस्था के रोग एवं उपचार)
Author : Kaviraj Janardan Bhardwaj
Language : Hindi
ISBN : 9788186103139
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹250.00
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