रसोई शिक्षा : प्रत्येक सजीव प्राणी की प्रथम अनिवार्य आवश्यकता है भोजन, जिसके बिना वह प्राण धारण नहीं कर पाता। इसीलिए अन्न को ब्रह्म कहा गया है। मानव के लिए भी यह प्रथम आवश्यकता तो है, किन्तु मनुष्य ने अपनी रसना की तृप्ति के लिए भोजन को अनेक क्या असंख्य स्वादों से युक्त करके व्यंजनों को अनन्त कर दिया। भारत की विविधता पूर्ण भौगोलिक संरचना ने इस अनन्तता में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज से 40-50 वर्ष पूर्व एक सम्मिलित परिवारों में लड़कियां, स्त्रियां अनायास ही नानी, दादी, बुआ, भाभी से ढेरों भोजन विधिया सीख जाती थी। प्रवाह और आवश्यकता के कारण अब अधिकांशतः एकल परिवारों का चलन हो गया। अतः व्यंजनों की विविधता को जान सकने या सीख सकने का उपाय भी नगण्य रह गया है। यही कारण है कि रसोई के सम्बन्ध में शिक्षा के लिए पुस्तकें लिखी जाने लगी। प्रस्तुत पुस्तक भी इसी संदर्भ में लिखी गई है। इसमें केवल भोजन बनाने की विधिया मात्र नहीं है- रसोई चौके का अर्थ, भोजन के रस, भोजन बनाना एक कला, पकाने की अनेक विधियां, भारत के चार प्रमुख भागों में भोजन सम्बन्धी विशेषताएं, भोजन का शिष्टाचार, भोजन करते हुए सावधानियां, भारतीय रसोई में प्रयुक्त विभिन्न मसालों के स्वास्थ्यकर गुण आदि और बहुत कुछ सामग्री भी दी गई है। पुस्तक पठनीय तथा मननीय तो है ही, दो सौ से अधिक भारतीय व्यंजनों के स्वाद से भी परिचय कराएगी।
Rasoi Shiksha
रसोई शिक्षा
Author : Priti Prabha Goyal
Language : Hindi
ISBN : 9788192447209
Edition : 2016
Publisher : RG GROUP
₹300.00
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