जाटों की कहावती कथाएं : गद्य कथा साहित्य के एक अन्यतम भेद के रूप में कहानी सबसे अधिक, किसी अंश में उपन्यास है भी अधिक लोकप्रिय साहित्य का रूप है। परन्तु यह तो ‘साहित्यिक’ कहानी की बात है। ‘जाटों की कहावती कथाएँ’ तो लोक कथा का ही एक रूप है। लोक कथा का उद्गम जानना प्रायः उतना ही कठिन है, जितना मानव जीवन का। इनके लेखक अज्ञातनामा होते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी में कहानियँ सुनती-सुनाती आई हैं। अतः वक्ता तथा श्रोता की रूचिवश इनमें अन्तर आ जाना स्वाभाविक है।
‘जाटों की कहावती कथाओं’ को सामान्य मानव जीवन की कथाओं को भांति पढ़ा जाए, तो अधिक आनन्द आएगा, अन्तर केवल इतना है कि इनको इस तथ्य को ध्यान में रख कर पढा जाए-‘जाट में मसखरापन भी खूब पाया जाता है। उसकी मसखरी में एक अजीब सा भोलापन, एक अजीब सी शरारत तथा एक अजीब सा अक्खड़पन मिलता है।’ कहावत सभी कहानियों को प्रमुख विशेषता हैं, यहीं अन्तर प्रस्तुत कहानियों में हैं। कहावत किस प्रकार मानव-जीवन का अन्यतम अंग बन जाती हैं, इन कथाओं से जाना जा सकता है। यद्यपि इन पचपन कथाओं के पात्र तथा स्थान भिन्न-भिन्न हैं, तथापि इनको एक साथ पढ़ने पर आनन्द एक उपन्यास का सा आता है। है न ‘एक पंथ दो काज’ वाली बात। भाषा की दृष्टि से भी राजस्थान तथा हरियाणा का सामंजस्य इन कथाओं में देखा जा सकता है।
Jaaton ki Kahawati Kathayen
जाटों की कहावती कथाएं
Author : Lakhanlal Sharma
Language : Hindi
ISBN : 9788186103685
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹239.00
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