Kshatriya Rajvanshon Ka Itihas

क्षत्रिय राजवंशों का इतिहास
Author : Devi Singh Mandawa
Language : Hindi
Edition : 2023
ISBN : 9789394649682
Publisher : Rajasthani Granthagar

279.00

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Kshatriya Rajvanshon Ka Itihas

भारतवर्ष का प्राचीन इतिहास सूर्य, सोम और अग्नि के वंशजों के महान् कार्यों की निधि है। जिन कुलों में श्रीराम, श्रीकृष्ण, गौतम बुद्ध महावीर स्वामी, हरिश्चन्द्र, विश्वामित्र, भागीरथ और विक्रमादित्य जैसे महा मानव अवतरित हुए और अपनी साधना से भारत को विश्ववन्दनीय जगद्गुरु के पद से पूञ्जित करवाया निःसन्देह वह वर्ण, जाति और समाज महान् है। Kshatriya Rajvanshon Ka Itihas

all in all रामायण, महाभारत और लक्षाधिक संस्कृत, प्राकृत और अन्य भाषाओं में निबद्ध ऐतिहासिक काव्य तथा लोकाख्यान इन्हीं कुलों के क्षत्रियों, राजपूतों के तपोनिष्ठ, साहसिकों के उत्सर्गमयी जीवन की कहानियाँ हैं। राजपूत जाति ने शताब्दियों तक भारत और भारतीयता के श्रेष्ठत्व की रक्षा के लिए आततायी आक्रांताओं और दुधर्ष शक्तियों के साथ संघर्ष किया और भारतीय संस्कृति को उनके आघातों से बचाया तथा धर्म की रक्षा की किन्तु आज उसी महान् संस्कृति व आदर्श चरित्र की धनी राजपूत जाति बिखराव और दिशाहीनता की ओर बढ़ रही है। राजनीतिक विकृतियों ने भारतीय आदर्शों को, जीवन के मान-मूल्यों को छिन्न-भिन्न कर गहरे गर्त में धकेल दिया है। नैतिक बल शौर्य का आधार होता है और अनैतिकता लज्जाजनक कायरता की जननी होती है।

किसी भी जाति के अस्तित्व के लिए इतिहास का सम्यक् ज्ञान आवश्यक होता है। इतिहास भावी संतति की स्फीत शिराओं में ताजा रक्त का संचार करता है। वह वर्तमान को साहस तथा शक्ति देता है और भविष्य के लिए दिशा-निर्देश करता है। also ‘राजपूतों की शाखाओं का इतिहास’ नामक पुस्तक भी मूलतः इसी दिशा-ज्ञान की ओर हमें गतिशील करने का सन्देश देती है।

क्षत्रिय राजवंशों का इतिहास (Kshatriya Rajvanshon Ka Itihas)

इस पुस्तक में राजपूत समाज के अतीतकालीन गौरव और वर्तमान कालीन स्थिति को देखने, समझने और परखने के लिए आँख दी गई है।

accordingly इसमें राजपूत कुलों और उनकी विभिन्न शाखाओं में से शेखावत कछवाहा, भौंसला- वंश, विजयनगर का यादव साम्राज्य, राव जोधाजी और उनके वंशज, हाडा चौहान, मेवाड़ के झाला क्षत्रियों का संक्षिप्त इतिवृत्त, देवड़ा चौहान, कांगड़ा का कटोच वंश, परमार वंश, चौल वंश, मेड़तिया राठौड़ आदि शाखाओं का संक्षिप्त विवरण दिया गया है।

इसके अध्ययन से जहाँ राजपूत समाज को अपनी कुल परम्पराओं, कर्त्तव्या, कर्त्तव्यों और गौरव – गरिमाओं का बोध होगा वहाँ भारत और राजपूत समाज के इतिहास के प्रेमी विद्वानों और शोधार्थियों को भी आनन्द प्राप्त होगा। Kshatriya Rajvanshon Ka Itihas

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