राजस्थान के यशस्वी पत्रकार : इस पुस्तक में उन तमाम कलमकारों को लेकर लिखा गया है, जो अपनी कलम से अंग्रेजों से लेकर राजनेताओं, अधिकारियों, समाज कंटको तक को हिला चुकें है। कलमकार के पास फख्त कलम होती हे ना तीर होता है, न तलवार होती है, इसलिये कहा गया है ना तीर निकालो, ना तलवार निकालों, जब जंग मुकाबिल हो, तो अखबार निकालों। स्वतंत्रता संग्राम में जब साप्ताहिक, पाक्षिक अखबार निकलने शुरू हुए तो उनसे अंग्रेजों के साथ-साथ सामन्त भी घबराने लगे। साधनों के आभाव में कोई अखबार ऐसा नहीं था जो नियमित निकाला गया है। संग्राम के समय के कलमकार जेल, लाठी, यातना सब कुछ झेल कर विजयी हुऐ और हमें आजादी का सुख दिला गऐ, धीर-धीरे नहीं तेज गति से उन्हें भुलाया जाना लगा और बडे़-बड़े अखबारी घराने ठीक वैसे ही खडें हो गऐ जैसे उद्योग हों। इनमें कलमकारों का चमचमाती सुख तो दिखाई देती है, मगर वे संतुष्ट नहीं है। मोटी तनख्वाह सुख सुविधाऐं हैं लेकिन जो संतोष कलमकार को होना चाहिए वो नहीं है। छोटे-मंझोले पत्रों के कलमकार भी जो लिखना चाहते है, वो नहीं लिख पाते हैं, इस समस्या का निदान नहीं हो सकता है, इक्कीसवी सदी में कलम से ज्यादा कैमरा हावी होने की गला काट प्रतियोगिता कर रहा है। स्वतन्त्रता मिलने तक की पीढी में से इक्के दुक्के कलमकार हमारे बीच हैं। पत्रकारिता में दूसरा युग था, स्वतन्त्रता से लेकर आपातकाल तक का। तीसरा दौर आपातकाल के बाद से चल रहा है, कलमकारों पर तीनों दौर में हमले होते रहे हैं जो आगे भी होंगें।
Rajasthan Ke Yashasvi Patrakar
राजस्थान के यशस्वी पत्रकार
Author : Satya Pareek
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9789385593598
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹279.00
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