डॉ. बी. आर. अम्बेडकर : संविधान निर्माण मे भूमिका एवं राजनीतिक दर्शन : डॉ. पायली के शब्दों में कहा जा सकता है कि डॉ. अम्बेडकर में बहुत से गुणों का चक्रव्यूह, विद्वता, पाण्डित्य, कल्पनाशक्ति, तर्क, वाकपटुता और अनुभव था, संसद में जब कभी वे संविधान के प्रारूप के प्रावधानों की आलोचनाओं का उत्तर देने के लिए बोलते थे, तो संविधान के प्रावधानों का स्पष्ट और सुन्दर रूप सामने आ जाता था, उनके बैठते ही शंकाओं का खुलासा, संशय के बाद और अस्पष्टता सब दूर हो जाते थे, निस्संदेह वे ‘आधुनिक मनु’ थे, उन्हें भारतीय संविधान के पिता अथवा मुख्य रचयिता कहा जाना चाहिए।
धर्म में केवल नैतिक नियम बना देना ही पर्याप्त नहीं है। धर्म को स्वतंत्रता, समानता एवं भ्रातृत्व जैसे सामाजिक सिद्धान्तों को मानना चाहिए, क्योंकि इन मूल्यों के बिना सामाजिक एकता नहीं आ सकती। इसलिए धर्म को एक सच्चा धर्म होने के लिए यह आवश्यक है कि वह नैतिकता को सर्वोपरि समझे और उन सिद्धान्तों को बढ़ाये, जो एकता, शांति एवं प्रगति के लिए अनावश्यक है।
Dr. B. R. Ambedakar : Sanvidhan Nirman mein Bhumika evam Rajnitik Darshan
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर : संविधान निर्माण मे भूमिका एवं राजनीतिक दर्शन
Author : Prem Kumar Narwal
Language : Hindi
ISBN : 8186103015
Edition : 2007
₹200.00
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