महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ व्यक्तित्व एवं कृतित्व : महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ साहित्याकाश के एक जाज्वल्यमान नक्षत्र थे। वे इस प्रदेश के सच्चे प्रतिनिधि थे, जिनके एक हाथ में खड्ग तो दूसरे में लेखनी थी और वह भी ऐसी कि जिसका कोई सानी नहीं था। बीकानेर के संस्थापक राव बीका की चौथी पीढ़ी में राव कल्याणमल के पुत्र और बीकानेर नरेश महाराजा रायसिंह के अनुज वीरवर पृथ्वीराज राठौड़ के उदात्त व्यक्तित्व और उत्कृष्ट कोटि के कृतित्व पर प्रस्तुत पुस्तक के विद्वान लेखक ने प्रकाश डाला है। उनके साहित्य को कला और भाव दोनों ही पक्षों की समीक्षात्मक विवेचना करते हुए इस प्रतिभाशाली पुरुष के व्यक्तित्व को उदघाटित किया है, वह निश्चय ही श्लाघनीय है। महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ की कृति ‘क्रिसन रुकमणी री वेली’ एक कालजयी कृति है और राजस्थानी की यही एक मात्र ऐसी रचना है, जिसकी सर्वाधिक टीकायें विभिन्न भाषाओं में संस्कृत, ब्रज, गुजराती, हिंदी, ढूंढाडी और मेवाड़ी आदि में लिखी गई। इस प्रकार वेली और उसके कर्ता की कीर्ति-सौरभ आज भी सर्वत्र प्रसरित हो रही है।
Mahakavi Prithviraj Rathore Vyaktitva Evam Krititva
महाकवि पृथ्वीराज राठौड़ व्यक्तित्व एवं कृतित्व
Author : Bhupatiram Badriprasad Sakariya
Language : Hindi
2nd Edition : 2015
ISBN : 9789384168698
Publisher : Rajasthani Granthagar
₹319.00
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