युग युगीन डूंगरपुर : डूंगरपुर एक छोटा राज्य था किन्तु इसकी भौगोलिक स्थिति ने इसके महत्व में अत्यधिक वृद्धि कर दी थी। प्रस्तुत ग्रन्थ में डूंगरपुर राज्य के स्वतत्र निर्माण से लेकर राज्य का राजस्थान मे विलय तक के ऐतिहासिक विवरण का समावेश किया है। औझा जी के पश्चात् राज्य का समग्र इतिहास लिखने का प्रयास नहीं हुआ है। इस लम्बे अन्तराल में विभिन्न प्रकार की मौलिक सामग्री उजागर हुई है। अतः उस सामग्री की उपयोग की आवश्यकता देख प्रस्तुत कृति ‘युग युगीन डूंगरपुर‘ की रचना की हैं इस कृति को मूलतः दो भागों में बाँटा गया है। प्रारम्भ में डूंगरपुर नामकरण के प्रसंग का आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है साथ ही राज्य का अन्य भारतीय शक्तियों से सम्बधों को नवीन सामग्री के आधार पर देखने का प्रयास किया है। मुगल व मेवाड़ से संबंध निर्धारण में आने वाली समस्याओं का बेबाक वर्णन ग्रन्थ की विशेषता है। इस कृति के द्वारा इस भाम्रक धारणा को भी दूर करने का प्रयास किया है कि राज्य में मुगलों का स्थान सीधा अंग्रेजो में ले लिया था। मुगल शक्ति के विघटन तथा अंग्रेज से संधि के मध्य भाग में राज्य की समस्त शक्ति मराठा के हाथों में केन्द्रित हो गई थी। 1728 से लेकर 1818 ई. तक अर्थात् 90 वर्ष तक का कालखण्ड, डूंगरपुर के संदर्भ में मराठा युग की संज्ञा दी जाती है। इस अवधि के विभिन्न भाषाओं यथा मराठी राजस्थानी डिंगल अंग्रेजी आदि के साथ-साथ ख्यात, काव्य ग्रन्थों व अन्य साहित्यिक विधाओं, में उपलब्ध सामग्री के आधार पर यह निष्कर्ष महत्वपूर्ण है कि ब्रिटिश ने मुगलों से सत्ता नही ली अपितु मराठों से प्राप्त की है। भारतीय शक्तियों की अदूरर्शिता से कैसे ईस्ट इण्डिया कम्पनी का मार्ग प्रशस्त हो गया। ग्रन्थ का शेष भाग आर्थिक, सांस्कृतिक आदि दशाओं पर केन्द्रित है। कृषकों की दशा, राजस्व व्यवस्था, आयात-निर्यात की स्थिति, कृषि उत्पादन मुख्य व्यापारिक मार्गो के निर्माण आदि अनेक सम्बंधित घटनाओं का समावेश है। यह ग्रन्थ का महत्वपूर्ण अंग है। विभिन्न अवसरों पर लगने वाले मेलो का आर्थिक व सांस्कृतिक महत्व का भी विशद विवरण ग्रन्थ की मैालिकता प्रकट करता है।
Yug Yugin Dungarpur
युग-युगीन डूंगरपुर
Author : Neelam Kaushik
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9789384168780
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹239.00
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