वनवासी भील और उनकी संस्कृति : भील भारतवर्ष के प्राचीनतम निवासियों में से हैं। ये वन पुत्र हैं। ये असंस्कृत आदिवासी मूलतः जंगलों के ही निवासी है और यहीं पर चिरकाल से फलते फूलते रहे हैं । अपर्याप्त भोजन मिलने पर भी ये वन-शैल निवासी घोर परिश्रमी, अध्यवसायी एवं बलिष्ठ होते है। इनका शारीरिक संगठन आकर्षक और सुडौल होता है। कड़ी धूप में निरन्तर काम करने से भले ही इनकी त्वचा काली हो जाय फिर भी मुख का सौन्दर्य चमकता ही रहता है।
भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता को समुन्नत करने में आदिवासी भीलों का सहयोग सदा स्मरणीय रहेगा। इतिहास के पृष्ठ इस तथ्य के साक्षी है कि इन साहसी वनवासियों ने विदेशियों के आक्रमण को असफल बनाने में निरन्तर भारतीय सैनिकों के कन्धे से कन्धा मिलाया और शत्रुओं के पाशविक अत्याचारों को पूर्ण आस्था, शौर्य एवं विश्वास से कुचला।
सिंह इनके सहयोगी है, व्याघ्र इनके मनोरंजन के साधन है एवं हरा-भरा कानन इन भीलों के आमोद-प्रमोद का प्रांगण है। इस विशाल भारत के विभिन्न भू-भागों में निवास करने वाले इन साहसी सपूतों की गाथाएं बड़ी ओजपूर्ण एवं ऐतिहासिकता को प्रतिध्वनित करती है।
वनवासी भील और उनकी संस्कृति’ नामक इस पुस्तक में विद्वान लेखक श्री चन्द्र जैन ने वनवासी भीलों की उत्पत्ति, भीलों के देवी-देवता, भीलों की उपजातियां, उनकी वैवाहिक परम्पराएं एवं प्रथाएं भीलों के उत्सव और त्योहार, भीलों के शकुन अपशकुन, भीलों के गीत एवं भीलों के सामाजिक जीवन के साथ-साथ उनकी आर्थिक स्थिति, नृत्यकला एवं सांस्कृतिक पक्ष पर गहराई से प्रकाश डाला है। प्रो. जैन का यह प्रस्तुत प्रयास सराहनीय है।
Vanvasi Bhil Aur Unki Sanskriti
वनवासी भील और उनकी संस्कृति
Author : Shrichandra Jain
Language : Hindi
ISBN : 9789384168827
Edition : 2015
Publisher : RG GROUP
₹199.00
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