सांस्कृतिक राजस्थान
रानी लक्ष्मीकुमारी चुण्डावत की कहानियों में जिस प्रकार राजस्थान की आत्मा का असली चित्र उभर कर सामने आता है उसी प्रकार उनके निबन्धों में राजस्थानी संस्कृति के हृदयस्पर्शी शब्द चित्र समाहित है। accordingly ‘सांस्कृतिक राजस्थान’ अनुभव के ठोस सत्य के आधार पर लिखी गई पुस्तक है, जैसा कि स्वयं लेखिका ने स्पष्ट किया है “जो कुछ लिखा है उसका बहुत कुछ हिस्सा मेरा देखा हुआ है। मैं उसमें से गुजरी हूँ। बहुत बड़ा हिस्सा वह है जो मेरे परिजनों के अपने अनुभव है, बाकी का हिस्सा वह है जो हमें बचपन में शिक्षा के आधार पर सिखाया गया, समझाया गया।” Sanskratik Rajasthan Laxmi Kumari (Cultural Rajasthan)
प्रस्तुत ग्रंथ की एक अन्य उल्लेखनीय विशेषता है लेखिका रानी लक्ष्मीकुमारी चुण्डावत का निष्पक्ष लेखन “बिना लाग-लपेट के पक्षपातहीन होकर सत्य के रूप में लिखा है और तथ्यों को तथ्य की भांति।” ठोस आधार और निष्पक्ष भाव से लिखे गये ‘सांस्कृतिक राजस्थान’ के हमारे त्यौहार, रजवाड़ी गीत, बात और बात कहने की कला, सांस्कृतिक धरोहर, हमारे आमोद-प्रमोद, लोकगीत मानव जीवन में अमृत के समान तथा राजस्थान की समन्वित संस्कृति, निबन्ध नवीन शोध जैसे प्रभावशाली है।
Rani Laxmi Kumari Chundawat Special Collection (Sanskratik Rajasthan Laxmi Kumari)
surely रानी लक्ष्मी कुमारी चुण्डावत की ये पुस्तकें राजस्थान तथा राजस्थानी की कहानियाँ, कथाएँ, बातां, कला, संस्कृति व परम्परा को जानने का एक सुगम स्रोत हैं। राजस्थान में ‘बात’ (कहानी) कहने की अपनी शैली है। वह शैली अनूठी है और परम्पराओं से परिपूर्ण है।
भारत में राजस्थान रो जो महत्वपूर्ण स्थान है वस्यो ही स्थान भारतीय भासावां में राजस्थानी भाषा रो है। as well as राजस्थानी रा एक एक सबद रे लारे एक एक रणखेत बोले, पीढियां रो पराकरम झांके। राजस्थानी भासा राजस्थान री धरती अर इतिहास री तरै हीज सबळ नै क्षमतावान है। लक्ष्मीकुमारी चूण्डावत री कहाणियां री अेक खास घसक आ क उणां मे राजस्थान रै कण कण री आतमा पलका मारै। Sanskratik Rajasthan Laxmi Kumari (Cultural Rajasthan)
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