राजपूताने का प्राचीन इतिहास : सुप्रसिद्ध इतिहासवेत्ता पं. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा का ‘राजपूताने का इतिहास’ राजस्थान के इतिहास की दृष्टि से एक अनुपम ग्रन्थ है। इसमें ओझाजी ने राजपूताना नाम, उसका भूगोल, राजपूत शब्द की व्याख्या तो की ही है, प्राचीन भारतीय राजवशों से राजपूताना के सम्बन्धों का विवेचन कर ग्रन्थ के महत्त्व को द्विगुणित कर दिया हैं। मराठों, अंगे्रजों आदि से सम्बन्धों का विस्तृत विवेचन भी प्रस्तुत ग्रन्थ में विद्यमान हैं। ग्रन्थ का परिशिष्ट इसलिए अत्यन्त ही महत्त्वपूर्ण है कि इसमें क्षत्रियों के नामों के साथ लगे हुए ‘सिंह’ शब्द का युगयुगीन विवेचन प्रस्तुत किया गया है। पं. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा का अत्यन्त प्रसिद्ध आलेख ‘क्षत्रियों के गौत्र’ भी परिशिष्ट में समाहित हैं। वर्तमान राजस्थान के प्राचीन राजवंशों के इतिहास के साथ ही प्रस्तुत ग्रन्थ में ओझाजी ने प्राचीन भारतीय राजवंशों-मौर्य, गुप्त,हर्ष आदि तथा मध्यकालीन सुल्तानों व मराठों व अंगे्रजों से राजस्थान के सम्बन्धों का विवेचन कर भावी शोधकर्ताओं का मार्ग प्रशस्त कर दिया है; अपने विवरण में ओझाजी ने नाग, यौधेय, तंवर, दहिया, डोडिया, गोड़ आदि राजवंशों का विवरण प्रस्तुत कर ग्रन्थ के महत्त्व में श्रीवृद्धि कर दी। प्रस्तुत ग्रन्थ राजस्थान के इतिहास का एक अद्वितीय ग्रन्थ है जो गहन गंभीर अध्येताओं तथा इतिहास के सामान्य जिज्ञासुओं के लिए समान रूप से सहेज कर रखने योग्य सिद्ध होगा।
Rajputane Ka Prachin Itihas (Hardcover)
राजपूताने का प्राचीन इतिहास
Author : Raibahadur P. Gaurishankar
Language : Hindi
Edition : 2022
ISBN : 9788186103944, 9789384168193
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹359.00
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