राजस्थान की पाग-पगड़ियाँ : भारतीय संस्कृति की सनातन परम्परा में प्रागैतिहासिक काल से वर्तमान समय तक जनसामान्य की बदलती रुचि के अनुसार वेश-भूषा के साथ शिरस्त्राण में भी अनेक विध परिवर्तन हुए हैं। लेखक ने वैदिक मौर्य और गुप्त, राजपूत, मुगल तथा आधुनिक काल के शिरस्त्राणों की चर्चा को अनेक प्रमाणों एवं चित्रों की सहायता से मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत किया है। राजस्थान के विभिन्न भागों में पाग-पगड़ियाँ बांधने के अलग-अलग प्रकार प्रचलित रहे हैं। यहाँ पगड़ी से मनुष्य की जाति पहचानी जाती है। पगड़ी न केवल किसी के व्यवसाय को अपितु जीवन-स्तर को भी परिलक्षित करती है। आन-बान की प्रतीक पगड़ी ने राजस्थानी काव्य में भी अपना प्रभाव छोड़ा है। मानवीय जीवन के प्रायः प्रत्येक संस्कार से जुड़ी पाग-पगड़ियों की सांस्कृतिक यात्रा का यह मनोरम चित्रण पाठक को बरबस बाँधे रखता है। राजस्थान की विशिष्ट पाग संस्कृति को अपने मूल रूप में प्रस्तुत करने का यह प्रथम अभिनव प्रयास है।
Rajasthan Ki Paag-Pagadiyan
राजस्थान की पाग-पगड़ियाँ
Author : Dr. Mahendrasingh Nagar
Language : Hindi
Edition : 2015
ISBN : N/A
Publisher : RG GROUP
₹749.00
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