राजस्थान में प्रजामण्डल आन्दोलन
(Division Movement in Rajasthan)
प्रस्तुत पुस्तक में आठ अध्याय हैं जिनका संयोजन इस प्रकार है – प्रथम अध्याय मराठों के राजपूताना में हस्तक्षेप तथा बाद में यहाँ अंग्रेजों के राजनीतिक आधिपत्य व अत्याचारों के फलस्वरूप पैदा हुई राजनीतिक जागृति के कारकों का उल्लेख किया गया है। अध्याय दो में 1857 के विलुप्त और 1885 के कांग्रेस की स्थापना के पश्चात् राजपूताना की विविध रियासतों में जन-जागरण के विविध मंचों यथा जाति पंचायतों, हितकारिणी सभा, सेवा संघ और आरम्भिक राजनीतिक संगठनों की by all means स्थापना का उल्लेख किया गया है। Rajasthan Mein Prajamandal Aandolan
also तृतीय अध्याय में जमनालाल बजाज और हीरालाल शास्त्री के नेतृत्व में जयपुर में प्रजामण्डल आन्दोलन के विकास के विभिन्न चरणों का वर्णन किया गया है। जोधपुर में जयनारायण व्यास के मार्गदर्शन में उत्तरदायी शासन की स्थापना के लिए प्रजामण्डल के संघर्ष को अध्याय चार में समाहित किया गया है। बीकानेर राज्य का प्रजामण्डल आन्दोलन पंचम अध्याय की विषय-वस्तु है।
छठे अध्याय में माणिक्यलाल वर्मा के निर्देशन में हुए प्रजामण्डल आन्दोलन पर प्रकाश डाला गया है। भरतपुर प्रजा परिषद् आन्दोलन को अध्याय सात में इंगित किया गया है। राज्य की अन्य रियासतों, जैसे अलवर, करौली, धौलपुर, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, शाहपुरा, सिरोही, जैसलमेर, कोटा, बूँदी, टोंक, किशनगढ़ और बाँसवाड़ा में उत्तरदायी शासन के लिए संघर्ष का वर्णन finally अध्याय आठ में किया गया है।
Rajasthan Mein Prajamandal Aandolan (Division Movement in Rajasthan)
accordingly पुस्तक के लेखन में मौलिक समसामयिक सामग्री तथा अद्यतन हुई शोधसामग्री का उपयोग किया गया है। पुस्तक में विविध रियासतों में उत्तरदायी शासन के लिए किये गये संघर्ष को संयोजित रूप से प्रस्तुत करने का यह प्रथम प्रयास है।
प्रजामण्डल का अर्थ है प्रजा का मण्डल (संगठन)।1920 के दशक में ठिकानेदारों और जागीरदारों के अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ रहे थे। इसी कारण किसानों द्वारा विभिन्न आंदोलन चलाये जा रहे थे साथ ही गांधी जी के नेतृत्व में देश में स्वतंत्रता आन्दोलन भी चल रहा था।
hence इन सभी के कारण राज्य की प्रजा में जागृती आयी और उन्होंने संगठन(मंडल) बना कर अत्याचारों के विरूद्ध आन्दोलन शुरू किया जो प्रजामण्डल आंदोलन कहलाये।
प्रजा मण्डल आन्दोलनों का उद्देश्य था – “रियासती कुशासन को समाप्त करना व एक उत्तरदायी शासन की स्थापना करना जो प्रजा के प्रती उत्तरदायी हो”। Rajasthan Mein Prajamandal Aandolan
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