राजस्थान के एतिहासिक दुलर्भ ग्रंथों का अनुशीलन राजस्थान का इतिहास यहां के विशिष्ठ साहित्य, संस्कृति, कला और रोमांचकारी राजनीतिक घटनाओं के फलस्वरूप् विश्वविख्यात रहा। यही कारण है कि यहाँ के आधारभूत स्त्रोतों की खोज, सर्वेक्षण और इतिहास लेखन हेतु विदेशी विद्वान आकृष्ट हुए और आज भी शोध कार्य जारी है। राजस्थान की प्राचीन कला-राशि हस्तलिखित ग्रंथो, पटटे-परवानों, पुरालेखीय बहियों और शिलालेखों के रूप में यत्र-तत्र बिखरी हुई प्राप्त होती है। इसके अध्ययन हेतु खोज, सर्वेक्षण, परिक्षण, सम्पादन किये जाने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए लेखक ने हजारों हस्तलिखित ग्रंथो (राजस्थानी) का न केवल खोजन का कार्य किया बल्कि ग्रंथो के सर्वेक्षण, परिक्षण और अनेक दुर्लभ ग्रंथो का सम्पादन के साथ ही इतिहास लेखन को नूतन आयाम दिये है। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक के 40 वर्ष की अनवरत शोध साधना के परिणामस्वरूप प्रकाशित 72 पुस्तकों का विवेचन संजोया गया है, जिससे मेवाड, मारवाड़, जैसलमेर, बीकानेर, जयपुर आदि राज्यों के इतिहास सम्बन्धी आधारभूत स्त्रोत, विभिन्न जातियों, योद्धाओं के साथ ही भक्ति-साहित्य तथा राजस्थानी भाषा साहित्य पर जहां सर्वथा नया प्रकाश पड़ा है वही राजस्थान के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक इतिहास सम्बन्धी अनेक तथ्य प्रकट हुए है। प्राचीन आयुर्वेद प्रणाली और ज्योतिष विद्या के बारे में महत्वपूर्ण सूत्र उजागर हुए है। पुस्तक इतिहास अनुशीलन के साथ ही राजस्थानी भाषा साहित्य की दृष्टि से उपयोग सिद्ध होगी।
Rajasthan ke Aitihasik Durlabh Granthon ka Anushilan
राजस्थान के एतिहासिक दुलर्भ ग्रंथों का अनुशीलन
Author : Dr. Hukamsingh Bhati
Language : Hindi
ISBN : 9789385593802
Edition : 2015
Publisher : RG GROUP
₹719.00
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