मुँहणोत नैणसी की ख्यात (हिन्दी अनुवाद)
राजस्थान के इतिहास का सर्वाधिक विश्वसनीय स्त्रोत ‘मुँहणोत नैणसी री ख्यात’ है। जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह के देश दीवान नैणसी द्वारा 17वीं शताब्दी में लिखित मूल ख्यात राजस्थानी गद्य में लिखी गई। उस काल की भाषा अपेक्षाकृत अधिक शुद्ध मारवाड़ी होने के कारण किसी अन्य भाषा के प्रभाव से मुक्त थी, अतः वर्तमान शोधकर्ताओं के लिए दुरूह थी। बाबू रामनारायण दूगड़ जैसे उच्चकोटि के विद्वान ने इसका हिंदी अनुवाद कर भावी शोधार्थियों के लिए इस महत्त्वपूर्ण ग्रंथ का उपयोग सुलभ कर दिया है। Muhnot Nainsi Ki Khyat
राजस्थान के सुप्रसिद्ध इतिहासकार पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा द्वारा संपादित किये जाने से इस हिंदी अनुवाद का महत्त्व अत्यधिक बढ़ गया है। ओझाजी ने नैणसी की त्रुटियों को अपने गहन-गंभीर ऐतिहासिक अध्ययन के आधार पर पाद-टिप्पणियों में शुद्ध किया है, जो शोधकर्ताओं के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। नैणसी ने अपनी ख्यात में राजपूताना, गुजरात, काठियावाड़ कच्छ, बघेलखंड, बुंदेलखंड और मध्य भारत के इतिहास को अपने ग्रंथ के कलेवर में समाहित करने का प्रयास किया है।
Muhnot Nainsi Ri Khyat
प्रस्तुत ग्रंथ में उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ राज्यों के सिसोदियों (गुहिलोतों), रामपुरा के चंद्रावतों (सिसोदियों की एक शाखा), खेड़ के गुहिलों, जोधपुर, बीकानेर और किशनगढ़ के राठौड़ों, जयपुर के कच्छवाहों, सिरोही के देवड़ा चौहानों, बूंदी के हाड़ों तथा बागड़िया, सोनगरा, सांचोरा, बोड़ा, ताँपलिया, खीची, चीबा, मोहिल आदि चौहानों की भिन्न-भिन्न शाखाओं यादवों और उनकी सरवैया, जाड़ेचा आदि कच्छ और काठियावाड़ की शाखाओं, गुजरात के चावड़ों तथा सोलंकियों, गुजरात और बघेलखंड के बघेलों (सोलंकियों की एक शाखा), काठियावाड़ और राजपूताना के झालों, दहियों, गौड़ों, कायमखानियों आदि का विस्तृत इतिहास लिखा है।
‘नैणसी री ख्यात’ प्राचीनतम ख्यात तो है ही, साथ ही इसका महत्त्व ओझाजी के इस कथन से आंका जा सकता है कि यदि कर्नल जेम्स टॉड को नैणसी की ख्यात उपलब्ध होती तो निश्चय ही उसका ग्रंथ और अधिक प्रामाणिक और विश्वसनीय बन जाता। ‘नैणसी री ख्यात’ के महत्त्व को स्वीकार करते हुए प्रसिद्ध इतिहासकार मुंशी देवी प्रसाद ने उसे राजपूताना का अबुल फजल कहा है, तो कालिकारंजन कानूनगो ने नैणसी को अबुल फजल से अधिक श्रेष्ठ इतिहासकार बताया है। ‘नैणसी री ख्यात’ का यह हिंदी अनुवाद राजस्थान की परंपराओं और इतिहास में रुचि रखने वाले सामान्य जिज्ञासुओं के साथ ही इतिहास के गहन-गंभीर अध्येताओं तथा शोधार्थियों के लिए सहेजकर रखने योग्य सिद्ध होगा। Muhnot Nainsi Ki Khyat
Muhnot Nainsi Ri Khyat
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