मेवाड़ के युग युगीन सिक्के : भारतीय इतिहास के अध्ययन में सिक्कों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मेवाड़ इतिहास को जानने समझने के प्राथमिक एवं ऐतिहासिक स्त्रोत सामग्री के रूप में अभिलेख, मुद्रा, शिलालेख, ताम्रपत्र, पट्टे परवाने, तत्कालीन साहित्य, ख्यात, बात, रासो, स्थापत्य व स्मारकों के साथ सिक्कों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। मुद्रा पर अंकित तारीख, शासक का नाम, टकसाल का नाम, स्थल, घटना विशेष, स्मृति चिन्ह मुद्रा ढ़ालने की तकनीक, धातुओं का मिश्रण, उसका आकार एवं वजन इत्यादि इतिहास अध्ययन को मूल्यपरक एवं वस्तुनिष्ठ बना देते हैं क्योंकि मुद्रा वजन, आकार व मूल्य आदि की गारंटी प्रदान करती है, जिसे राज्य की सर्वभौम सत्ता द्वारा जारी किया जाता है।
मेवाड़ मुद्राओं की विस्तृत विवेचना प्रस्तुत ग्रंथ में की गयी है। 7वीं सदी में मेवाड़ की स्थापना से लेकर 1948ई. तक विभिन्न कालों में प्रचलित मुद्राओं, उनके आकार, वजन, धातु व चित्रों सहित विश्लेषण किया गया है। गुहिल के सिक्के, भोज, नागादित्य, बापा, शालिवाहन, वैरट आदि शासकों की मुद्राओं के साथ सिसोदिया वंश के शासकों की मुद्राओं का भी विस्तृत वर्णन किया गया है। मुद्रा विकास में महाराणा कुम्भा का काल स्वर्णयुग के रूप में था, विभिन्न प्रकार के सिक्के जारी किए थे। 18वीं सदी में मेवाड़ में प्रचलित अरसीशाही, चित्तौड़ी, उदयपुरी, महताशाही, भीलवाड़ी एवं चांदौड़ी सिक्कों का चित्र एवं सारणी सहित उल्लेख किया गया है। मेवाड़ में दोस्ति लंधन सिक्कों की सीरीज प्रचुर मात्रा में प्रचलन में थी। महाराजा स्वरूपसिंह से लेकर महाराजा भूपालसिंह तक की मुद्राओं का उल्लेख किया गया है। ये सिक्के स्वर्ण, रजत एवं ताम्र धातुओं में टंकित किए गए थे। मेवाड़ राज्य ऐसी पहली भारतीय रियासत थी, जिसकी ब्रिटिश सरकार से समानता की मित्रता थी और यह मित्रता सिक्कों के माध्यम से प्रकट होती है। मेवाड़ के ठिकानों से प्राप्त विभिन्न प्रकार के पदमशाही सिक्के, भींडरिया पैसा, माधोशाही सिक्कों के चित्र व सारणी सहित प्रस्तुत किया गया है।
Mewar Ke Yug Yugin Sikke
मेवाड़ के युग युगीन सिक्के
Author : Dilip Kumar Garg
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9789384168629
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹319.00
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