मेवाड़ का ऐतिहासिक संस्कृत साहित्य एवं संस्कृति : मेवाड़ में पाषाण काल से लेकर समय-समय पर विकसित हुई सभ्यताओं के मिलने वाले साक्ष्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि यहाँ अनेक संस्कृतियों का उत्थान एवं पतन होता रहता है। ताम्रपाषाण कालीन कृषि और पशुपालन-संस्कृति तो मेवाड़ के जीवन का आधार रही है। राजस्थान में इतिहासपरक संस्कृत-साहित्य लिखने की प्रवृत्ति लगभग 12वीं शताब्दी से स्वीकार की जा सकती है, जबकि मेवाड़ में 16वीं शताब्दी से स्वीकार करना श्रेयस् होगा। मेवाड़ में उपलब्ध होने वाले संस्कृत-साहित्य में महाकाव्य, खण्डकाव्य तथा प्रशस्तियों का समावेश किया गया है।
सामाजिक व्यवस्था यहाँ पर चतुर्वर्ण की व्यवस्था की भारत के अन्य भागों की तरह प्रचलित थी परन्तु इन महाकाव्यों से ऐसे संकेत प्राप्त होते हैं कि शासन के अनेक विभागों में बाह्य अधिकारी की भी उपस्थिति आवश्यक थी। मेवाड़ के शासन की यह विशेषता रही है कि उसने सिसोदिया और उनकी अन्य खापों के अलावा और भी बहुत से राजपूत उनके अधीनस्थ शासक रहे थे। मेवाड़ के वैश्यों को साहित्य के आधार पर दो भागों में विभाजित कर सकते हैं। एक व्यापारी और दूसरे मुसाहिब, जो राज्य के अधिकारी थे। मेवाड़ में आदिवासी और भीलों का अल्पसंख्यक वर्ग था। यहाँ तक कि महाराणा राज्याभिषेक के अवसर पर भी अंगूठा चीरकर तिलक भील मुखिया द्वारा किया जाता था। महाकाव्यों में विवाहित स्त्रियों के अलावा पासवानों और षड्दायतों का भी उल्लेख किया गया है।
Mewar Ka Aitihasik Sanskrit Sahitya Evam Sanskriti
मेवाड़ का ऐतिहासिक संस्कृत साहित्य एवं संस्कृति
Author : Pradeep Singh Rathore
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9788186103753
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹319.00
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