Marwar ka Puratatva aur Sthapatya

मारवाड़ का पुरातत्व और स्थापत्य
Author : Mahendra Singh Tanwar
Language : Hindi
ISBN : 9789387297357
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP

Original price was: ₹500.00.Current price is: ₹399.00.

मारवाड़ का पुरातत्व और स्थापत्य : प्रस्तुत पुस्तक मारवाड़ का पुरातत्व और स्थापत्य सम्पदा में लेखक ने मारवाड़ की राजधानी जोधपुर एवं इसके आस-पास के क्षेत्र में फैली हुई स्थापत्य वैभव की कलात्मक सम्पदा उजागर किया है। अत्यन्त सुन्दर शैली में चित्रों के साथ प्राचीन मारवाड़ की स्थापत्य सम्पदाएं जिनमें मन्दिर, हवेलियाँ, विभिन्न प्रासादों एवं विशेषकर कुएँ, बावड़ियाँ, तालाबों और झालरों (सीढ़ीदार कुँए) जैसे प्राचीन स्मारकों को इस पुस्तक में संग्रहीत किया गया है।
इस पुस्तक की वैशिष्ट्या यह है कि इसमें मारवाड़ की स्थापत्य कला परम्परा के क्रमिक विकास को दर्शाते हुये सभी प्रकार के स्थापत्य पर प्रकाश डाला गया है। इस पुस्तक को शोध प्रविधियों का अनुसरण करते हुये चार भागों में बाँटा गया हैं, क्रमानुसार ऐतिहासिक भवन, ऐतिहासिक हवेलियाँ, मन्दिर स्थापत्य एवं जल स्रोत स्थापत्य। इन चारों मुख्य भागों में तद्सम्बन्धी विवेचन के साथ ही जोधपुर नगर के विकास के साथ स्थापत्य सम्पदाओं के निर्माण कार्य के क्रम का विस्तारशः वर्णन प्रस्तुत किया गया है।
इस पुस्तक की भूमिका में लेखक ने सभी प्रकार की स्थापत्य श्रेणियों का विस्तार के साथ उल्लेख किया है तथा उसमें प्राचीन काल की परम्पराओं से लेकर वर्तमान तक के स्थापत्य व वास्तु के इतिहास सम्बन्धी विभिन्न बिन्दुओं को समझाने का सराहनीय प्रयास किया है। ऐतिहासिक व सांस्कृतिक नगरी जोधपुर में लेखक ने मारवाड़ की राजधानी की स्थापना से लेकर, वर्तमान काल तक हुये इस नगर के विस्तार एवं नगर के विभिन्न मोहल्लों, चैकों, गलियों के सांस्कृतिक स्वरूप को बड़े ही सुन्दर ढंग से लिपिबद्ध किया है।
प्रस्तुत पुस्तक में न केवल वर्तमान दुर्ग अपितु प्राचीन मण्डोर के दुर्ग एवं वहाँ के देवलों से सम्बन्धित स्थापत्य व उनके अवशेषों को भी वर्णित किया है। मारवाड़ के पूर्व शासकों के स्मारकों का शोधपूर्ण लेखन स्थापत्य कला का वर्णन बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य है। जोधपुर नगर का परकोटा व ऐतिहासिक द्वारों का इतिहास भी इस पुस्तक में होने से यह पुस्तक मारवाड़ के स्थापत्य इतिहास का आधार ग्रन्थ प्रमाणित होगा। इसका प्रमुख कारण है कि लेखक ने स्थापत्य के सौन्दर्य को ही नहीं वरन् प्रत्येक स्थापत्य के क्रमबद्ध चरणों को भी स्पष्ट रूप से विवेचित किया है।
अतः समग्र रूप से देखा जाय तो यह पुस्तक मारवाड़ की स्थापत्य सम्पदा कला, साहित्य, संस्कृति व स्थापत्य का समन्वित इतिहास है। हमारी पुरा सम्पदा के संरक्षण में यह पुस्तक आदर्श मागदर्शन सिद्ध होगी। पुरा सम्पदा पर जिज्ञासुओं के लिये एक आदर्श ग्रन्थ होगा।

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