हम्मीरदेव के कछवाहा : क्षत्रियों के प्रसिद्ध राजवंशों में कछवाहा वंश के कश्मीर, जयपुर, अलवर (राजस्थान मधुपुर, ढीकानल (उड़ीसा) महियर (मध्यप्रदेश), नवीनगर कटेसर, अमेठी (उत्तरप्रदेश) आदि कई राज्य और एक गांव से लेकर पाँच सौ ग्राम समूह तक के ठिकाने, जागीरें और जागीरदारियां थी। राजस्थान में जयपुर (आमेर) के कछवाहों की बारह कोटिड़िये और तिरेपन तड़े प्रसिद्ध थी। मूल पुरुष परम्परा से उद्भव किसी व्यक्ति के स्वतंत्र रूप में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पहचान बना लेने पर उस व्यक्ति की सन्तान उसके नाम से तड़ कहलाने लगती है। कछवाहा कुल की ‘हम्मीरदेव तड़’ के तड़पुरुष आमेर के राजा कुंतलदेव के ज्येष्ठ राजकुमार हम्मीर देव थे। हम्मीरदेव के धर्म युद्ध में वीरगति प्राप्त करने पर उसके पुत्र अपने पैतृक राज्य जोबनेर के शासक बने और दूणी का ठिकाना स्थापित किया। ‘हम्मीरदेव के कछवाहा’ में ठिकाना दूणी की कुल क्रम परम्परा का विवरण देते हुए हम्मीरदेव के वंशजों की जागीर, रेखपट्टा, ताजीम इत्यादि का भी हवाला दिया गया है।
Hammir Dev Ke Kachhwaha
हम्मीरदेव के कछवाहा
Author : Mohan Singh Kanota
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9789384168421
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹179.00
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