बीकानेर संभाग का जिलेवार सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक अध्ययन : स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात प्रदेश ‘जिला’ नामक प्रशासनिक इकाईयां गठित हुई और गत पचास वर्षों में जिलों ने अपनी पहचान भी स्थापित की। धीरे-धीरे ये प्रशासनिक इकाईयां सांस्कतिक इकाईयों का रूप लेती जा रही है। आज का व्यक्ति यदि प्रदेशसे बाहर रहने पर अपनी पहचान अपने प्रदेश के नाम से करवाना चाहता है तो प्रदेश में रहने पर वह अपनी पहचान अपने जिले से करवाना चाहता है। अतः इस पुस्तक को विभिन्न अध्यायों में विभक्त करते समय जिले को आधार बनाया गया है। राजस्थान की संस्कति के विविध पक्ष, यहां की विशिष्ट जातियों, लोक कलाओं, सांस्कृतिक संस्थानों एवं पर्यटन की स्थिति पर विस्तार से जानकारी दी गई है। यह जानकारी सारगर्भित है तथा इसमें राजस्थान के उस प्रत्येक गांव को सम्मिलित किया गया है जहां से कोई भी पुरातात्विक, ऐतिहासिक, धार्मिक अथवा सांस्कृतिक सामग्री उपलब्ध हुई है। इस पुस्तक में राजधानी से लेकर राज्य के प्रमुख नगरों, कस्बों, व गांवों को सम्मिलित किया गया है। यह विपुल सामग्री किसी भी व्यक्ति को राजस्थान के आंचलिक परिवेश की सम्पूर्ण जानकारी देने वाली सिद्ध होगी।
यह पुस्तक न केवल राजस्थान के इतिहास एवं पर्यटन में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी अपितु विश्वविद्यालयों के पढ़ने वाले विद्यार्थियों एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।
राजस्थान प्रशासनिक सेवा तथा अन्य प्रादेशिक सेवाओं में भर्ती हेतु ली जाने वाली लिखित परीक्षाओं में राजस्थान और उसकी संस्कृति के सम्बन्ध में आजकल अलग से एक प्रश्न पत्र निर्धारित किया गया है, साक्षात्कारों में भी राजस्थान, की संस्कृति को लेकर प्रश्न पूछे जाते हैं, यह पुस्तक इन परीक्षार्थियों के लिए महत्वपूर्ण एवं उपयोगी सिद्ध होगी।
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