मान पदावली : संगीत (महाराजा मानसिंह जोधपुर) : संगीत-शास्त्री म. मानसिंह ने इस सांगीतिक पदावली में सर्वप्रथम स्तुतिपरक मंगलाचरण प्रस्तुत कर अपने सद्गुरु से संगीत-शिक्षा हेतु विनम्र प्रार्थना की है। तत्पश्चात् उन्होंने संगीत की परम्परित गीत-वाद्य-नृत्य-समन्विति वाली परिभाषा देकर हनुमंत-मत से प्रभावित राग-रागिनी-वर्गीकरण प्रस्तुत किया है। गायन-गुणों में उन्होंने कंठ-शुद्धि पर विशेष बल दिया है। गायक की गायकी पर यहाँ सर्जित सांगरूपक अत्यन्त सुन्दर बन पड़े हैं। प्रसंगतः उन्होंने ध्रुवा गीतों से लेकर अपने समय तक प्रचलित प्रबंध-परिपाटी का नामोल्लेख किया है। इसी क्रम में उन्होंने संगीत के उत्स नाद की सूक्ष्मतम सत्ता से लेकर श्रुति, ग्राम, मूर्च्छता, तान, वर्ण, अलंकार, गमक, जाति, राग आदि महत्त्वपूर्ण संगीत-शास्त्रीय संज्ञाओं का संकेत-मात्र दिया है। परम्परित संगीत में उनकी अटूट आस्था का यह परिणाम था। उनके वाद्य-सम्बन्धित पदों से उनका गहन वाद्य-ज्ञान उद्भासित होता है।
संगीताचार्य म. मानसिंह की सरगमें तो स्वरों की तीर्थ-यात्राएँ जैसी हैं। उनके तान भरे तराने तथा त्रिभंगिमा लिये त्रेवट भी चित्ताकर्षक हैं। ये तीनों प्रबंध सार्थक शब्दावली से संयुक्त हैं, उनकी नवीन प्रयोगधर्मिता के परिचायक रूप में। उन्होंने चटकीली चतुरंग और राग-ताल मिश्रण की गंभीर रचनाएँ रागसागर तथा तालसागर भी प्रस्तुत की हैं। ये ‘सागर’ संज्ञक रचनाएँ तो महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान की अधिकरिणी हैं। उनके ‘रागसागर’ जहाँ उनके आश्रित कुशल कलावन्तों के गायन की कसौटी ही बन गये, वहीं उनका ‘तालसागर’ तो अद्भुत वादन का आश्चर्य-लोक जैसा है। ऐसी प्रस्तुतियाँ देने वाले वे वंदनीय गायक-वादक कैसे विलक्षण साधक रहे होंगे, इसकी तो केवल कल्पना ही की जा सकती है।
Maan Padawali : Sangeet (Maharaja Maansingh Jodhpur)
मान पदावली : संगीत (महाराजा मानसिंह जोधपुर)
Author : Bhagwatilal Sharma
Language : Hindi
Edition : 2015
Publisher : RG GROUP
₹450.00
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