सद्गुरु उपदेशामृत
(संक्षिप्त जीवन चरित्र एवं गुरुदेव के व्याख्यान) आचार्य देव श्री विजयशांतिसूरीश्वरजी भगवान (Sadguru Upadeshamrit)
अपने गुरु प्रति शब्दों में कुछ लिख पाना अति कठिन कार्य है। कभी कभी कुछ पुराने प्रकाशनों को नये रुप में अपने पाठकों तक पहुँचाना भी आवश्यक है। आज हमारी युवा पीढ़ी को गुरुदेव भगवान के उपदेशों से अवगत कराना जो कि इस बदलाव के युग में भी खरे उतरते हैं और सही मार्ग दर्शन करते हैं। शायद अपने गुरु के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का एक माध्यम है। मैं इसमें श्रद्धा के साथ-साथ कर्तव्य परायणता भी देखता हूँ। आज जब अपने ही जीवन को मुड़ कर देखता हूँ कि पिताश्री स्वर्गीय कान्तिलालजी जिन्होंने जीवन पर्यंत गुरुदेव श्री शान्तिसूरीश्वरजी के बारे में अपार लिखा और अपने अन्त समय तक ‘शान्ति – ज्योति’ पत्रिका के माध्यम से गुरुप्रचार में लगे रहे। अपना सम्पूर्ण जीवन ही उन्होंने गुरु समर्पित प्रकाशन में लगाया, मेरे लिए एक प्रेरणा स्त्रोत हैं। Sadguru Upadeshamrit
आज से लगभग दो वर्ष पूर्व पुस्तक ‘सद्गुरु महिमा’ की प्रस्तुति और इस अल्प समय में लगभग एक हजार पुस्तकों का गुरु भक्तों तक पहुँचना प्रस्तुतकर्ता के लिए अति उत्साहनीय है। इसी उत्साह की श्रृंखला में यह पुस्तक ‘सद्गुरु उपदेशामृत’ का भक्तों तक पहुँचना, मेरे लिए अति हर्ष का विषय है। इस पुस्तक के मूल संकलनकर्ता रहे है मालवाड़ा निवासी श्री रुपचंद हेमाजी माघाणी। अक्सर उन्हें जाननेवाले भक्त रुपजीभाई कहकर ही पुकारते थे। श्री रुपजीभाई का संक्षिप्त परिचय इस पुस्तक के प्रारम्भ में दिया गया है। हम अपने आपको भाग्यशाली मानते हैं कि हमने गुरुदेव भगवान को तो साक्षात नहीं देखा लेकिन गुरुदेव के चरणों में कई वर्ष बितानेवाले श्री रुपजीभाई का हमें संसर्ग मिला और उनके ही मुख से उन किस्सों को सुना जिन्हें आज पढ़कर भक्तगण रोमांचित हो जाते हैं। Sadguru Upadeshamrit
click >> अन्य पुस्तकें
click >> YouTube कहानियाँ






Reviews
There are no reviews yet.