Puranotpatiprasang (Pandit Madhusudan Ojha Granthamala 19)

पुराणोत्पत्तिप्रसङ्ग: (हिन्दीभाषानुवादसहितम्)
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रंथमाला 19
Author : Madhusudan Ojha, Pro. Prabhavati Chaudhari
Language : Sanskrit, Hindi
ISBN : N/A
Edition : 2015
Publisher : Other

229.00

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पुराणोत्पत्तिप्रसङ्ग: (हिन्दीभाषानुवादसहितम्) पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रंथमाला 19 : पुस्तक परिचय पूज्यवर्य ओझा जी के इतिहास पुराण नाम के महाभाग में विश्व विकास नाम का एक भाग है। इसमें पुराणोत्पत्तिप्रसङ्ग नाम का एक सन्दर्भ है। उस सन्दर्भ के अन्तर्गत यह ग्रन्थ पुराणाशास्त्राभिज्ञान है।
इस ग्रन्थ का प्रथम प्रकाशन ग्रन्थकार के सुपुत्र श्री प्रद्युम्नजी शर्मा द्वारा संवत् 2001 में तदनुसार सन् 1944 में हुआ था। म.म. पं. श्री गिरिधर जी शर्मा चतुर्वेदी का आरम्भिक वक्तव्य इस ग्रन्थ के विषय में था जो इस ग्रन्थ का परिचायक है। ___ लोमहर्षण ने वेदव्यासनिर्मित पुराणसंहिता का अध्ययन करके स्वयं एक नवीन पुराण संहिता का निर्माण किया। उस स्वनिर्मित पुराणसंहिता में उसने मन्वन्तर, सृष्टि, प्रतिसृष्टि, वंश व वंश्यानुचरित इन पांच तत्त्वों का (अधिक) समावेश किया। लोमहर्षण ने स्वनिर्मित पुराणसंहिता का त्रय्यारुणि, कश्यप, सावर्णि, अकृतव्रण, शांशपायन व हारीत इन 6 शिष्यों को अध्ययन कराया। इनमें से शांशपायन, सावर्णि तथा कश्यप इन तीनों ने स्वतन्त्र पुराणसंहिताओं का निर्माण किया। शांशपायन ने स्वनिर्मित पुराणसंहिता में आख्यान, उपाख्यान, गाथा व कल्पशुद्धि इन चार विषयों का अधिक संनिवेश किया। सावर्णि ने स्वनिर्मित पुराणसंहिता में दर्शनविद्याओं, कलाओं, आगमविषयों व नीतिविषयों का अधिक समावेश किया। इसी प्रकार कश्यप ने स्वनिर्मित पुराणसंहिता में वेदोपवृंहण व पुराणावतरण आदि विषयों का समावेश किया। लोमहर्षण तथा उसके तीन शिष्यों द्वारा निर्मित चारों पुराणसंहिता नैमिषक्षेत्र में सूतशौनक-संवाद-सिद्ध अष्टादश पुराणों की मूलभूत संहितायें कहलाती हैं।
और लोमहर्षणादि द्वारा प्रणीत मूलसंहिताओं का स्रोत बादरायणप्रणीत पुराणसंहिता है। इस तरह पुराणसंहिताओं की तीन श्रेणियां हो जाती हैं:1. कृष्णद्वैपायनप्रणीत पुराणसंहिता। 2. लोमहर्षण व उसके तीन शिष्यों द्वारा प्रणीत चार मूलसंहितायें 3. नैमिषक्षेत्र में सूतशौनकसंवादसिद्ध अष्टादश पुराणग्रन्थ जो कि आजकल लोक में प्रचलित हैं।

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