राजस्थान के प्राचीन अभिलेख (मेवाड़ के विशेष संदर्भ में) : मेवाड़ प्रदेश अपने अंक मे प्राचीन भारतीय बाध्यता और संस्कृति के बीज को अक्षुण रखे हुए है। यहां आदिम समुदायों सहित लोकजन और अभिजात्य तीनों ही स्तर के समाजों के दर्शन होते हैं। पारियात्र अथवा अरावली की पहाड़ियों ने इसे कुदरतन रक्षित और पोषित किया है, तो आगूंचा, दरीबा और जावर जैसी खदानों ने इसे आर्थिक रूप से समृद्धि प्रदान की हैं। इस दृष्टि से यह देश में प्राचीनतम समृद्धि प्रदाता क्षेत्र रहा है। इस पर्वतमाला से निकली नदियों ने यहाँ कृषिकार्य को सबल किया। यहां गणों से लेकर अनेक राजवंशों ने अपने शासन का सूत्र संचालित किया। अश्वमेध, एकषष्टिरात्र जैसे वैदिक सत्र-यज्ञ यहां हुए और शासकों ने जलाशयों के निर्माण के साथ जल-संसाधन के सुदीर्घ संरक्षण की परम्परा का प्रवर्तन किया। यहां धर्मजागरण और समाज सुधार के अभियान भी निरन्तर रहे। कृषि के देवता हलधर संकर्षण और कर्तव्य के प्रेरक वासुदेव की पूजा के लिए नारायण वाटिका के नियत से लेकर वैष्णव जैसे सहिष्णु मत के पोषण का प्रयास यहीं से आरम्भ हुआ, तो शिवतत्त्व के कठिन साधकों के लाकुलीश जैसे मत का पोषण हुआ। यहां शाक्त और सार सम्प्रदायों का विकास भी हुआ तो, सुधारात्मक बौद्ध और जैन मतों को भी बल मिला। यहां के अभिलेख भारतीय इतिहास के अध्ययन में अपना महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। इन अभिलेखों में भारतीय समाज की सांस्कृतिक अवधारणा के दर्शन होते है। ये अभिलेख पुरातनकाल के प्रकाशपुंज है। इनके अध्ययन से अपनी विरासत पर आत्मगौरव का भाव जागता है। इस पुस्तक में प्रारम्भिक अभिलेखों का मूलपाठ सहित अनुवाद और उन पर प्रमाणिक पाद टिप्पणियों के साथ पर्याप्त विमर्श किया गया है।
Rajasthan Ke Prachin Abhilekh
राजस्थान के प्राचीन अभिलेख (मेवाड़ के विशेष संदर्भ में)
Author : Dr. Shri Krishna ‘Jugnu’
Language : Hindi
Edition : 2022
ISBN : 9789391446253, 9788186103095
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹399.00
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