कुम्भलगढ़ अजेय दुर्ग
महाराणा कुम्भा जो एक वीर, साहसी, योग्य, विद्वान, संगीतकार, नाटककार व स्थापत्य कला का ज्ञाता था, उसने मेवाड़ राज्य की सुरक्षा हेतु मेवाड़ के चारों तरफ दुर्गों का निर्माण व पुननिर्माण करवाया। कर्नल टाॅड अपनी पुस्तक ‘राजस्थान के इतिहास’ भाग 1 में लिखता है कि ‘विदेशी लोगों के आक्रमण से मेवाड़ भूमि की रक्षा करने के लिए 84 दुर्ग स्थित हैं, उनमें से 32 दुर्गों का निर्माण महाराणा कुम्भा ने करवाया। उन 32 दुर्गों में कुम्भलगढ़ का नाम दुर्गविशेष प्रसिद्ध है। यह दुर्ग ऐसे स्थान पर बनाया गया है, जहाँ चारों और ऊँची दीवारें विद्यमान है, इसी कारण यह दुर्ग चितौड़ के अलावा श्रेष्ठ कहा जा सकता है।’ इससे स्पष्ट है कि महारणा कुम्भा ने अपने साम्राज्य की दूसरी राजधानी सुरक्षा की दृष्टि से कुम्भलगढ़ को बनाया। महाराणा कुम्भा के काल में मालवा व गुजरात के मुस्लिम शासकों ने कई आक्रमण कर कुम्भलगढ़ विजय का स्वप्न साकार करने का प्रयत्न किया, लेकिन प्रत्येक बार उन्हें असफलता ही प्राप्त हुई।
Reviews
There are no reviews yet.