राड़धरा के जैतमालोत राठौड़़ों का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक इतिहास : राड़धरा भारतीय मरुस्थल का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। मारवाड़ का तो इसे हृदय स्थल कहा जा सकता है। आश्चर्य की बात है कि थार मरुस्थल के धाट धरा, मांड धरा आदि को तो प्रसिद्धि प्राप्त है, किन्तु राड़धरा के इतिहास और संस्कृति तो दूर की बात, अब तक उसकी भौगोलिक परिस्थिति और उसके शुद्ध नाम तक की जानकारी अधिकांश विद्वानों तक को नहीं है। डॉ. महेन्द्रसिंह नगर ने अल्प ज्ञात ही नहीं अज्ञात राड़धरा के सम्बन्ध में एक महत्त्वपूर्ण अज्ञात राड़धरा के सम्बन्ध में एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ का प्रणयन कर इतिहास और मरुस्थलीय संस्कृति के जिज्ञासुओं के साथ ही गहन गंभीर अध्येताओं के लिए भी एक महत्त्वपूर्ण शोध सामग्री प्रस्तुत की है।
डॉ. महेन्द्रसिंह नगर न केवल राड़धरा की संस्कृति के जानकार हैं बल्कि उनके व्यक्तित्व में यह संस्कृति रची-बसी है। उन्होंने राड़धरा के जीवन को जीया है, इसलिए उनके द्वारा लिखित यह ग्रन्थ अत्यन्त गहराई से मरुस्थल के इस हिस्से की सांस्कृतिक विशेषताओं को उजागर करता है।
प्रस्तुत ग्रन्थ न केवल राड़धरा का प्रथम ऐतिहासिक दस्तावेज है अपितु यह अत्यन्त विश्वसनीय है और इसमें मरु भूमि के हृदय स्थल राड़धरा की समूची संस्कृति को प्रयत्नपूर्वक संजोया गया है। डॉ. नगर ने अपने विवरण में छोटे-छोटे व्यक्तियों को स्थान देकर ग्रन्थ के महत्त्व को अत्यधिक बढ़ा दिया है। समग्र रूप से प्रस्तुत ग्रन्थ मरुस्थल के इतिहास और संस्कृति में रुचि रचाने वाले जिज्ञासुओं के साथ ही गहन अध्येताओं के लिए भी सहेज कर रखने योग्य सिद्ध होगा और डॉ. नगर के अथक श्रम से भावी शोधकर्ताओं को इस दिशा में कार्य करने की प्रेरणा के साथ ही एक उपयोगी दस्तावेज उपलब्ध होगा।
Raddhara ke Jaitmalot Rathoron ka Aitihasik evam Saanskritik Itihas
राड़धरा के जैतमालोत राठौड़़ों का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक इतिहास
Author : Mahendra Singh Nagar
Language : Hindi
Edition : 2015
Publisher : RG GROUP
₹800.00
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