मारवाड़ी घोड़े : अश्व सदैव मनुष्य के साथ रहा है। घोड़ों का इतिहास बहुत प्राचीन है। वेदों में भी घोड़ों का उल्लेख मिलता है। विश्व के सभी देशों में अश्व पाये जाते हैं। हमारे यहाँ मारवाड़ी और मालाणी घोड़े प्रसिद्ध रहे हैं। मालाणी परगना मारवाड़ी घोड़ों के प्रशिक्षण के लिए प्रसिद्ध है। मध्यकालीन मारवाड़ के इतिहास में घोड़ों का विशेष महत्व और भूमिका रही है। मारवाड़ी अश्व बहुत सुन्दर, स्वामीभक्त और दैवीय गुणों से युक्त होते हैं। काठियावाड़ी घोड़े भी इतने ही सुन्दर सलोने होते हैं परन्तु मारवाड़ी घोड़ों की तुलना में वे कदकाठी में कुछ कम होते हैं।
सिंधी घोड़ों के आगमन के बाद मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की लोकप्रियता में कमी आई। पिछले कुछ वर्षों से सिंधी घोड़ों के आगमन की कमी के कारण मारवाड़ी घोड़ों की जो नस्ले बच गई है उनको सुरक्षित व संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। मारवाड़ी घोड़े के कान, नाक, आंख उसकी पसलिया, मधु, पुट्टे, पूंछ, केवाली, पोड़, नथुने ललाट, अश्व के दांत उनकी चाल, रंग, भंवरिया और उनके लक्षण, घोड़ों की उत्पत्ति, इत्यादि के सम्बन्ध में शालीहोत्रों के माध्यम से इस पुस्तक में महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई है साथ ही विभिन्न अश्व विशेषज्ञों के पारम्परिक ज्ञान से भी बहुत सी बातें ग्रहण कर इसमें प्रकाशित की गई है। मारवाड़ी अश्व के सम्बन्ध में विद्वान लेखक ने जो महत्त्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध कराई है इससे मारवाड़ी अश्व में रुचि रखने वाले अवश्य लाभान्वित होंगे।
Marwari Ghoden
मारवाड़ी घोड़े
Author : Mahendrasingh Nagar
Language : Hindi
ISBN : 9788192453736
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹400.00
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