धांधलां री ख्यात : मारवाड़ के राठौड़ों के मूल पुरुष राव सीहा के पौत्र तथा राव आस्थान के पुत्र धांधल से धांधल राठौड़ों की शाखा चली। धांधल ने कोळूमढ़ में अपना पृथक राज्य स्थापित किया। धांधल का पुत्र पाबू बड़ा वीर और पराक्रमी था। गायों की रक्षार्थ और अपने वचन के पालनार्थ जिंदराव खीची से युद्ध कर वीरगति को प्राप्त हुआ। पाबू धांधल की गिनती राजस्थान के प्रमुख पांच लोक देवताओं में होती है। झरड़ा ने जिंदराव खीची को मारकर अपने पिता बूड़ा व चाचा पाबू राठौड़ का वैर लिया। भीमा उदलोत से धांधल राठौड़ों का पुनः विस्तार हुआ। कोळूमढ़, केरू, चांदरक, बूटेलाव व मोकलावास नामक नये गांव धांधलों द्वारा बसाए गए। इन गांवों के अलावा सालवा, चींचडली, गेलावास, रोयल, नांदड़ा, सेवकी, बेगड़ियावास, जाजीयाली में भी धांधलों का निवास रहा तथा जोधपुर के विभिन्न महाराजाओं की सेवा बन्दगी में रहकर इन धांधलों ने विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान की है। धांधलों द्वारा करवाए गए सार्वजनिक निर्माण के कार्यों का हवाला भी ख्यात में उपलब्ध है। धांधलों के वैवाहिक सम्बंधों और विभिन्न गांवों के वंशक्रम का विस्तृत वर्णन इस ख्यात में प्रमुखता से हुआ है। धांधल राठौड़ों के महत्त्व को उजागर करने वाला यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्त्रोत है।
Dhandhala Ri Khyat
धांधलां री ख्यात
Author : Dr. Vikramsingh Rathor
Language : Hindi
ISBN : 9788186103015
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹200.00
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