बुन्देलखण्ड के अभिलेख : पन्ना राज्य के संस्थापक महाराजा छत्रसाल बुन्देला ने पेशवा बाजीराव प्रथम की सामयिक सहायता से कृतज्ञ होकर उसे अपना दत्तक पुत्र घोषित कर छत्रसाली राज्य के तृतीय भाग का उत्तराधिकारी बना दिया था। छत्रसाल के अन्य दो उत्तराधिकारी थे उनके पुत्र हिरदेशाह और जगतराज। राज्य के इस विभाजन से कालांतर में जो समस्यायें उत्पन्न हुई उससे न केवल बुन्देलखण्ड की राजनीतिक स्थिति अस्थिर हो गई। बल्कि उसने बुन्देलखण्ड के 18वीं सदी के इतिहास को ही नये मोड़ दे दिए। यहीं दिये गये पन्ना अभिलेख (1741-1841 ई.) आँचलिक इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं, इनसे समकालीन इतिहास की विलुप्त कडियाँ उजागर होती है। इन दस्तावेजो से ज्ञात होता है कि इस काल खण्ड में छत्रसाल के वंशजों में उत्तराधिकार को लेकर गृह युद्ध हो रहे थे, जिससे छत्रसाल का पन्ना राज्य जैतपुर के अतिरिक्त बांदा, चरखारी, शाहगढ़, बिजावर, अजयगढ़, सरीता, जसो, जिगनी जैसे छोटे-छोटे राज्यों में बँटता गया। आपसी फूट और युद्धों से उनकी शक्ति क्षीण होती गई। उत्तराधिकार एवं जागीरों को लेकर पन्ना राजवंश के कुमारों के कलहों गृहयुद्धों-षडयंत्रों को रेखांकित करने वाले इन पत्रों से बुन्देलखण्ड के राजनैतिक, सामरिक-आर्थिक परिस्थितियों पर पर्याप्त प्रकाश पडता है। ये पत्र पन्ना के बुन्देला राज्यों की श्रीहीन स्थिति, बुन्देलखण्ड में मराठों के उत्पन-पतन व अंग्रेजो के पदार्पण और उनके बढ़ते वर्चस्व की प्रामाणिक जानकारी देते है। इनके प्रकाशन से उनका समुचित उपयोग हो सकेगा।
Bundelkhand Ke Abhilekh
बुन्देलखण्ड के अभिलेख
Author : Sudha Gupta
Language : Hindi
Edition : 2017
ISBN : 9789384168995
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹319.00
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