हाँ! मैं मुसलमान हूँ : संसार में युद्ध, साम्प्रदायिक दंश, जातीय, हिंसा का ज़हर व नस्लवाद के क्रूर प्रहारों से सामाजिक उहापोह और सांस्कृतिक सद्भाव का ह्रास होना अवश्यंभावी है। और इन सारी मुश्किलों तकलीफों को सीधे तौर पर सबसे ज्यादा स्त्री वर्ग को झेलना पड़ता है। यह सब उसे बाहर और भीतर से इस तरह तोड़ देते हैं कि जीवन भर उसे अपने भीतर के अंर्तद्वंद, टकराव और खुद से, अपनों से दुराव के बीच जीना पड़ता है।
यह बात इतनी सी नहीं है। आपसी संबंधों को सहेजते सहेजते उसे खुद को छिन्न-भिन्न होते हुए भी देखना पड़ता है। लकिन उसे यह सब इसलिये भुगतना और सहना पड़ता है कि समाज का स्वरूप बना रहे। समाज उससे सिर्फ त्याग और विश्वास की अपेक्षा रखता है, क्योंकि वही समाज की केन्द्रीय धुरी होती है। रूकमणी, पारूल, उर्मिला ताई और मेहरू, सब यह सबकुछ भुगतती हुई, “हाँ मैं मुसलमान हूँ” में हमारे सामने आती हैं।
रूकमणी को जीने का मुझे मौका मिला और लगा, यह सिर्फ अभिनय नहीं, एक नया जीवन जीने का मौका लेखक और निर्देशक डॉ. राजीव कुमार ने मुझे दिया। जिन पीड़ाओं का अहसास, इस पात्र को जीवित करते हुए मुझे हुआ, मुझे विश्वास है कि यह नाटक और उसके पात्र आपको भी उसी तरह गहरे से छूयेंगे।
Han! Mai Musalman Hun
हाँ! मैं मुसलमान हूँ
Author : Kumar Rajeev
Language : Hindi
Edition : 2016
ISBN : 9788186103084
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹149.00
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