गोदान : उपन्यास वे ही उच्च कोटि के समझे जाते हैं जिनमें आदर्श तथा यथार्थ का पूर्ण सामंजस्य हो। ‘गोदान’ में समान्तर रूप से चलने वाली दोनो कथाएं हैं – एक ग्राम्य कथा और दूसरी नागरिक कथा, लेकिन इन दोनो कथाओं में परस्पर सम्बद्धता तथा सन्तुलन पाया जाता है। ये दोनो कथाएं इस उपन्यास की दुर्बलता नहीं वरन, सशक्त विशेषता है। यदि हमें तत्कालीन समय के भारत वर्ष को समझना है तो हमें निश्चित रूप से गोदान को पढना चाहिए इसमें देश,काल की परिस्थितियों का सटीक वर्णन किया गया है | कथा नायक होरी की वेदना पाठको के मन में गहरी संवेदना भर देती है| संयुक्त परिवार के विघटन की पीड़ा होरी को तोड़ देती है परन्तु गोदान की इच्छा उसे जीवित रखती है और वह यह इच्छा मन में लिए ही वह इस दुनिया से कूच कर जाता है।
Godan
गोदान
Author : Munshi Premchand
Language : Hindi
ISBN : 9789384406035
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹250.00
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