चतुरसाल ग्रन्थावली : हिन्दी-रीति परम्परा के कवि-आचार्य चतुरसाल की रचनाओं का यह प्रथम सम्पादन-प्रकाशन है। रीतिकालीन कवि-आचार्यों में चतुरसाल की स्थिति इस दृष्टि से विशिष्ट है कि उनकी उपलब्ध छह रचनाओं में से चार छन्दशास्त्रीय हैं और एक अन्य विविध काव्यांग निरूपक रचना में भी छन्दशास्त्रीय विवेचन है। रीतिकाल में किसी एक कवि ने इतने छन्दशास्त्रीय ग्रन्थों का निर्माण प्राय: नहीं किया है। चतुरसाल इस दृष्टि से भी विशिष्ट है कि उनकी कुछ रचनाएँ लक्षण-लक्ष्य निरूपण की रीतिकालीन सामान्य परम्परा से अलग केवल लक्षण केन्द्रित है।
चतुरसाल की रचनाओं का महत्व इससे समझा जा सकता है कि उत्तरमध्यकाल में स्थापित कवि शिक्षा-सम्बन्धी संस्था भुज (कच्छ) की काव्यशाला के पाठ्यक्रम में उनकी एक रचना ‘काव्यकुतूहल’ सम्मिलित की गई थी। रचनाओं का पाठ-सम्पादन करते हुए पाठ-शोधन के क्रम में सम्पादक द्वारा प्रस्तुत टिप्पणियां न केवल रचनाओं की स्थिति को स्पष्ट करती हैं बल्कि विषय को समझने-समझाने की दृष्टि से भी महत्त्वपुर्ण है। पुस्तक के अन्त में ‘चूर्णिका’ की व्यवस्था द्वारा शब्दों के अर्थ का सूक्ष्मतापूर्वक उद्घाटन अत्यन्त उपयोगी है। ‘प्रस्तावना’ में कवि के शोधपूर्ण जीवन-परिचय तथा रचनाओं के सारगर्भित विवेचन-विश्लेषण से ‘ग्रन्थावली’ को पूर्णता प्राप्त हुई है।
Chatursal Granthawali
चतुरसाल ग्रन्थावली
Author : Devendra
Language : Hindi
ISBN : 9788186103111
Edition : 2017
Publisher : RG GROUP
₹300.00
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