अभिज्ञान शाकुन्तलम् : महाकवि-कालिदासप्रणीतम्
सम्पूर्ण विश्व में एक भी ऐसा संस्कृतानुरागी व्यक्ति नहीं होगा, जिसने महाकवि कालिदास और उनकी कालजयी नाट्य कृति ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ का नाम न सुना हो। यही वह नाटक था, जिसके अनुशीलन से ही पाश्चात्य विद्वानों का ध्यान संस्कृत साहित्य की ओर आकृष्ट हुआ और वे इस साहित्य के अध्ययन में प्रवृत्त हुए। देश-विदेश के सभी संस्कृत अध्येता विद्वानों ने इस नाटक की शतमुखी प्रशंसा की है।
यह नाटक वस्तुतः संस्कृत नाट्य साहित्य की अपूर्व हीरकमणि है। कथा का सहज अद्भुत प्रवाह, पात्रों का उत्कृष्ट चरित्र चित्रण शिल्प, भाषा शैली की रुचिरता, रसोन्मेष की चामत्कारिक सिद्धि, स्वाभाविक प्रकृति चित्रण आदि सभी अनुपमेय बन पड़ा है। महाभारत में प्राप्त एक छोटे से उपाख्यान को कालिदास ने अपनी प्रतिभा से एक उत्कृष्ट नाटक का रूप दे दिया। तभी तो आचार्य आनन्दवर्धन ने भी मुक्त कण्ठ से घोषणा की – “अस्मिन्नति विचित्र कवि परम्परा वाहिनि संसारे कालिदास प्रभृतयो द्वित्राः पञ्चषा वा महाकवय इति गण्यन्ते।” अभिज्ञान शाकुन्तलम् के शताधिक संस्करण अवश्य प्रकाशित हो चुके होंगे। फिर भी इस संस्करण की निम्नलिखित विशेषताएं इसे पठनीय/संग्रहणीय बना देती हैं:-
• महाकवि कालिदास के व्यक्तित्व से सम्बद्ध समस्त सामग्री;
• नाटक के श्लोकों की सरल, रुचिर व्याख्या;
• तदन्तर्गत प्रासंगिक कथाओं का स्पष्टीकरण;
• पाठ्य में आए अलंकारों आदि का परिभाषा सहित विवेचन;
• विस्तृत व्याकरणात्मक टिप्पणियां;
• कालिदास से सम्बद्ध सूक्तियों की विवेचना।
Abhigyan Shakuntalam : Mahakavi-Kalidas Pranit (Hardbound)
अभिज्ञान शाकुन्तलम् : महाकवि-कालिदासप्रणीतम्
Author : Priti Prabha Goyal
Language : Hindi, Sankskrit
ISBN : 9789384406844
Edition : 2021
Publisher : RG GROUP
₹479.00
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