बूंदी के जल स्त्रोत (ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन) : बून्दी क्षेत्र एक ऐसा भू भाग है जहाँ दूर-दूर तक न तो कोई बड़ी नदी न ही बड़ी-बड़ी प्राकृतिक झीले, इनके अभाव में जल की सतत उपलब्धता के लिए बून्दी क्षेत्र में पुरातन काल में जो जल प्रबन्ध किया उससे प्रेरित होकर लेखिका ने इस पुस्तक की रचना करने का कार्य हाथ में लिया। बून्दी क्षेत्र में प्राचीन और मध्यकालीन ऐतिहासिक जल स्त्रोतों (कुओं, बावडि़यों, कुण्डों, झीलों और तालाबों) की कोई कमी नहीं हैं। पुस्तक के लेखन में लेखिका ने साहित्यिक ग्रन्थो, राष्ट्रीय व राज्य अभिलेखागारों से प्राप्त सामग्री व पाण्डुलिपियों तथा बून्दी के प्रत्येक गाँव व नगरों में घूम घूम कर जल स्त्रोतों में लगे शिलालेखों एवं वहाँ से प्राप्त ऐतिहासिक शोध सामग्री का विश्लेषण कर इनका प्रचूरता से प्रयोग किया है।
पुस्तक रचना का मुख्य उद्धेश्य सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर जल स्त्रोतों के प्रति जन जागृति व चेतना जागृत करने के साथ-साथ जल प्रबन्ध की भावनाओं को प्रसारित करना है। जैसा कि समय चल रहा हैं उसमें आशंका हो गयी है कि कहीं ये जल स्रोत खण्डहरों में तब्दील न हो जाये अतः कभी इनके पुनः निर्माण की योजना बने तो इन शोध वर्णनों के आधार पर इन्हें मूल स्वरूप प्रदान किया जा सके।
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