जीवन के रंग जीवन के संग : “कई स्थितियों में हमारे कहने एवं आचरण में बड़ा फर्क नजर आता है। यह स्थिति हमारे विचारों में असमंजसता के कारण पैदा होती है तथा दूसरा कारण है विचारों में सहजता एवं सच्चाई को स्वीकार नहीं करने की प्रवृति।”
“भ्रष्टाचार की समस्या से प्रकृति द्वारा दी गयी सम्पदा तथा इन्सानों द्वारा विकसित सुख-सुविधाओं का न्यायोचित वितरण नहीं होता है। जिसकी वजह से मानव-समाज में असमानता की स्थिति बढ़ती है तथा इसके चरम सीमा पर पहुंचने पर नक्सलवाद, साम्यवाद या आतंकवाद जैसी समस्याएं अपना बहुत बड़ा रूप लेकर मानव जगत के सामने आती है।”
“प्रतिदिन हमारी सबसे पहली तथा सबसे महत्वपूर्ण कृतज्ञता प्रकृति के प्रति होनी चाहिए, जो हमें प्रतिदिन जीने के लिए आवश्यक चीजें जैसे हवा, पानी और भोजन उपलब्ध करवाती है।”
“भूतकाल में जब कोई महामारी पशु-पक्षियों द्वारा फैलाई गई तो बहुत बड़ी मात्रा में इन्सानों ने उन पशु-पक्षियों का वध करके संक्रमण को फैलने से रोका। कोरोना संक्रमण इन्सानों द्वारा इन्सानों में फैलाया जा रहा है। तब इन्सान क्या कर सकता है? यह सोचने का विषय है।”
Jeevan Ke Rang Jeevan Ke Sang
जीवन के रंग जीवन के संग
Author : CA Shushil Bhandari
Language : Hindi
Edition : 2021
ISBN : 9789391446154
Publisher : Rajasthani Granthagar
₹129.00
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