आसान राहें : मानव ने हमेशा नये का स्वागत किया है। उसने बीज में से अंकुरित होते वृक्ष का स्वागत किया है। उसने शिशुत्व में से विकसित होते यौवन का स्वागत किया है। उसने रात्रि के अन्त में से आने वाले स्वर्णिम प्रभात का स्वागत किया है। किसे मंजूर है? बीज, बीज ही रहे? शिशु, शिशु ही रहे? रात, रात ही रहे? किसी को नहीं, किसी को भी नहीं। क्योंकि विकास का इन्कार जीवन का इन्कार है।
दान देकर ढिंढोरा पीटना, परोपकार के बदले में परोपकार की कामना करना, पीठ पीछे दूजों की निन्दा करना, घर आये का अपमान करना, बार-बार किसी के घर जाते रहना, बिना पूछे अपनी राय देना, दूजों की उन्नति देखकर अप्रसन्न होना, यह सब देर-सबेर प्रतिष्ठा खोने के मूल कारण हैं।
Aasan Raahe
आसान राहें
Author : Yashwant Chand Bhandari
Language : Hindi
Edition : 2019
ISBN : 9788188757596
Publisher : RG GROUP
₹179.00
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