राजस्थान के प्रेमाख्यान : राजस्थानी बात साहित्य में प्रेम सम्बन्धी कथाओं की बहुतायत है। इन कथाओं की लोकप्रियता भी सर्वाधिक है। ऐसी प्रेम कथाओं में ढोला-मारू निहालदे-सुल्तान, मूमल-महेन्द्र, बींझा-सोरठ, नागजी-नागवंती, जलाल-बूबन, जेठवा-ऊजली आदि प्रेमकथाएं प्रमुख है। इन प्रेमकथाओं का मूल कथानक प्रेमी और प्र्रेमिका के इर्द-गिर्द पल्लवित होता है। दोनों के प्रेम प्रसंग के दौरान उन्हें कई तरह के संघर्षों से गुजरना पड़ता है,लेकिन दोनों के समर्पण में कहीं कोई कमी दृष्टिगोचर नहीं होती। इन प्र्रेम प्रसंगों के अन्तर्गत सामाजिक व सांस्कृतिक मान्यताओं सम्बन्धी पर्याप्त एवं मूल्यवान सामग्री उपलब्ध होती है, साथ ही वीरता का पुट व नीति सम्बन्धी उल्लेख भी इन बातों में यत्र-तत्र पाये जाते हैं। इनबातों में एक विशेषता समान रूप से पाई जाती है कि इनमें संयम व मर्यादा के विरुद्ध कहीं कोई आचरण नहीं हुआ है। छिछोरापन और उच्छृंकलता भी कहीं दृष्टिगोचर नहीं होती है। प्रेमी व प्रेमिका के मध्य आपसी आसक्ति एवं अनुराग कथानक के अन्त तक बना रहता है। प्रिय मिलन की आकुलता, व्याकुलता व आतुरता सर्वत्र दिखाई देती है। इन प्रेम कथाओं की बहुलता व लोकप्रियता का यही उज्जवल पक्ष है। इस कारण इनका आज भी महत्व कम नहीं हुआ।
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Rajasthan Ke Premakhyan
राजस्थान के प्रेमाख्यान
Author : Damyanti Kachawaha
Language : Hindi
Edition : 2015
ISBN : 9788186103949
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹319.00
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