कुण्डलिया सतसई : परमजीत कौर रीत’ जीवन में नई संभावनाएं तलाशने वाली रचनाकार हैं। उनकी रचनाएँ विषम परिस्थितियों में आशा का संचार करने में समर्थ हैं। इस कृति में उन्होंने भौतिक एवं आध्यात्मिक अनुभूतियों को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है। परमजीत कौर ‘रीत’ की ‘कुण्डलिया सतसई’ में भारतीय संस्कृति का प्रतिबिंब है, तो आधुनिक चेतना का प्रसार भी है। इस कृति में मानवीय संवेदनाएं, जीवन मूल्य, सामाजिक सद्भाव, भावना का प्राबल्य, अनुभूति की तीव्रता एवं युगबोध परिलक्षित होते हैं। मैं समझता हूँ ‘कुण्डलिया सतसई’ एक उपयोगी कृति है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि पाठकों को सकारात्मक भाव-दशा में ले जाने में समर्थ यह पुस्तक साहित्य जगत में अपना विशिष्ट स्थान बनायेगी। इस कृति के प्रकाशन पर मेरी ओर से अनन्त शुभकामनाएँ।
– त्रिलोक सिंह ठकुरेला
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