प्रीत री पतियाँ : किसी पर अपने आशीष की वृष्टि करते समय परमात्मा क्या आधार निर्धारित करता है, यह अज्ञात है क्योंकि इस पुस्तक की रचियता तो एक सामान्य परिवार में जन्म लेकर सामान्य शिक्षा प्राप्त करने वाली एक गृहणी हैं। अपने पिता वैकुण्ठवासी ठा. श्री मोहनदान जी बारठ के प्रति अगाध श्रद्धा वशात् अपने साहित्य में स्वयं को ‘मोहनसुता’ संबोधित करती हैं। संवत् 2024 वैशाख सुदी नरसिंह चतुर्दशी को देशनोक ग्राम, बीकानेर (राज.) में जन्मने वाली ‘मोहनसुता’ रत्नावली चारण स्वयं को इन रचनाओं का निमित्त मात्र समझती हैं।
भगवद्-अनुराग के अधीन होने पर जब किसी गीत को अपने भीतर उठते हुए देखती है, तो उसके शब्द लिख देती है और धुन रिकॉर्ड कर लेती हैं। आज दो हजार से अधिक गीतों की रचना, उनकी मौलिक रागिनियों सहित, कर चुकी हैं। उन्हीं गीतों में कुछ गीत इस पुस्तक के रूप में हमारे सम्मुख प्रस्तुत हैं।
गीत हैं परमात्म-प्रेम के, रस के और उस सनातन संबंध के, जिसका स्मरण हो जाने पर समस्त भोगों की प्रवृत्ति क्षीण हो जाती है क्योंकि वही परम भोग है।
Preet ri Patiyan
प्रीत री पतियाँ
Author : Mohansuta Ratnawali Charan
Language : Hindi
ISBN : 9789387297067
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
₹200.00
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