जैन प्रमाण शास्त्र : जैन प्रमाणशास्त्र का समग्र विवेचन करने वाला यह ग्रन्थ जिज्ञासुओं और शोधार्थियों के लिए उपादेय होने के साथ प्रवेशार्थियों के लिए भी उपयोगी है।
प्रमाणशास्त्र की जैन परम्परा के संवर्धक दार्शनिक वाचक उमास्वाति/उमास्वामी, कुन्दकुन्द, सिद्धसेनसूरि, समन्तभद्र, भट्ट अकलङ्क, विद्यानन्द, माणिक्यनन्दी, वादिराज, अभयदेवसूरि प्रभाचन्द्र, वादिदेवसूरि, हेमचन्द्रसूरि, अभिनवधर्मभूषण आदि के ग्रन्थों को आधार बनाकर रचित प्रस्तुत ग्रन्थ प्रमाणशास्त्रीय मान्यताओं का व्यवस्थित निरूपण करता है। इस ग्रन्थ में प्रमाण-लक्षण, प्रमाण-भेद, प्रत्यक्ष-प्रमाण तथा परोक्ष-प्रमाण के अन्तर्गत स्मृति, प्रत्यभिज्ञान, तर्क, अनुमान एवं आगम प्रमाण की विशद चर्चा की गई है। साथ ही नय-निक्षेप एवं वादविद्या पर पृथक् अध्याय उपलब्ध हैं।
हिन्दी भाषा में विरचित दश अध्यायात्मक इस ग्रन्थ के माध्यम से जैन न्याय एवं प्रमाणशास्त्र का प्रामाणिक ज्ञान होने के साथ अन्य भारतीय दर्शनों के प्रमाणशास्त्रीय सिद्धान्तों से तुलनात्मक बोध भी हो सकेगा।
Jain Praman Shastra
जैन प्रमाण शास्त्र
Author : Dharmchand Jain
Language : Hindi
ISBN : 9789387297715
Edition : 2019
Publisher : RG GROUP
₹350.00
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