पूगल का इतिहास इससे पहले कभी नहीं लिखा गया था, जब मैं इस विषय में गहराई से गया तब मुझ में स्वतः एक आत्म-विश्वास और भाटी होने का गौरव घर करता गया। अब मुझे ज्ञान हुआ कि पूगल के सामने अन्य राजवंशों के इतिहास क्या थे और उनमें सच्चाई कितनी थी? पूगल का इतिहास अपने आप में इतना उज्ज्वल है कि किसी तथ्य को छिपाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी; हां, कुछ पड़ोसी राज्यों के इतिहास पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता पड़ सकती है। इस पुस्तक को तीन खण्डों में विभक्त किया गया है।
खण्ड अ : पृष्ठभूमि में भाटियों के गजनी से जैसलमेर तक के राज्यों का वर्णन है। भाटियों के आदिपुरुष राजा भाटी सन् 279 ई. में लाहौर में हुए थे। गजनी से जैसलमेर तक भाटियों की 9 राजधानियां रही, पूृगल 10वीं है।
खण्ड ब : सिंहावलोकन में पूगल का इतिहास संक्षेप में दिया गया है। भाटियों के मुलतान व अन्यों से सम्बंध, भटनेर के उत्थान और पतन की कहानी भी है। मेवाड़ की पड्डिनी रावल पूनपाल की बेटी थी।
खण्ड स : पूगल का इतिहास में पूगल के सत्ताईस रावों का वर्णन है। राव केलण, चाचगदेव का राज्य भटनेर, सिन्ध व सतलज नदियों के पश्चिम के क्षेत्रों तक में था। इनकी मुसलमान राणियों के पुत्रों के वंशज भट्टी मुसलमान हैं। राव सुदरसेन ने रावल रामचन्द्र को देरावर का राज्य दिया था, जो सन् 1763 ई. में बहावलपुर राज्य बन गया। पूगल के सात राव युद्धों में मारे गए थे। मुगलों के समय पूगल एक स्वतंत्र राज्य था, बाद में यह बीकानेर के संरक्षण में आ गया। इसके बाद का इतिहास केवल स्थानीय घटनाओं का वर्णन है।
Pugal (Poogal) ka Itihas
पूगल का इतिहास
Author : Harisingh Bhati
Language : Hindi
ISBN : 9789390179039
Edition : 2020
Publisher : RG Group
₹639.00
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