युग निर्माता राव जोधा : ई. 1438 जब महाराणा कुम्भा के संकेत पर जोधा के पिता रणमल की हत्या हुई तथा मारवाड़ राज्य को मेवाड़ में मिलाया गया, उस समय जोधा 22 वर्ष का नवयुवक था। कुम्भा जैसे प्रबल राजा की दाढ़ में से मण्डोर जैसे छोटे और रेगिस्तानी राज्य को बाहर निकालना पितृ-विहीन एवं राज्य-विहीन राजकुमार के लिये असम्भव सा कार्य था। जोधा ने इस असम्भव दिखने वाले कार्य को सम्भव करके दिखाया। पूरे पन्द्रह साल तक वह घोड़े की पीठ पर बैठकर तलवार चलाता रहा। यह तलवार यहीं नहीं रुकी, राव जोधा तथा उसके पुत्रों ने कठिन थार मरुस्थल को अपने घोड़ों की टापों से रौंदकर अपने लिये एक विशाल राज्य का निर्माण किया। इस अद्भुत राजा ने भारत के इतिहास को अनेक स्वर्णिम पृष्ठ दिये। जोधा के वंशजों ने भारत में दूर-दूर तक अपने राज्य स्थापित कर लिये। मारवाड़ राज्य, भारत का तीसरा सबसे बड़ा राज्य बन गया। जोधा के वंशज कृष्ण-भक्ति और काव्य-रचना के क्षेत्र में विश्व भर में प्रसिद्ध हुए और उनके मंदिर बने। उन पर सैंकड़ों ग्रंथ लिखे गये तथा उनके किस्से सिनेमा के रुपहले पर्दे पर छाये रहे। जोधा के वंशजों ने प्रथम तथा द्वितीय विश्व-युद्ध के मोर्चों पर सफलताओं के झण्डे गाढ़े। उन्होंने यूनाइटेड नेशन को सम्बोधित किया और साम्राज्यिक युद्ध मंत्रिमण्डल तथा वार्साई की संधि में प्रमुख भूमिकाएं निभाईं। गोलमेज सम्मेलनों में जोधा के वंशजों की आवाज सबसे ऊँची थी। भारत सरकार ने जोधा के वंशजों पर डाक टिकट जारी किये। यह पुस्तक उसी महान राजा ‘राव जोधा’ को एक विन्रम श्रद्धांजलि है, जिसने जीवन भर अपने शत्रुओं से लोहा लिया तथा देशी एवं विदेशी शक्तियों को अपने अधीन करके हिन्दू संस्कृति, धर्म और राष्ट्र की रक्षा की।
Yug Nirmata Rao Jodha
युग निर्माता राव जोधा
Author : Dr. Mohanlal Gupta
Language : Hindi
Edition : 2015
ISBN : 9789384168278
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹149.00
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