युग निर्माता सवाई जयसिंह : प्रस्तुत पुस्तक सवाई राजा जयसिंह (द्वितीय) पर केन्द्रित है। सवाई राजा जयसिंह अठारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उत्तर भारत के राजाओं में सर्वाधिक चर्चित, प्रशंसित, बुद्धिमान, दूरदर्शी और प्रभावशाली राजा हुआ। वह ढूंढाढ़ प्रदेश में स्थित विशाल आम्बेर रियासत के महान राजाओं में सर्वप्रमुख था। अठारहवीं शताब्दी में भारत की राजनीति जिन गंभीर परिस्थितियों में हिचकोले खा रही थी, उनकी मार सहन कर पाना तथा अपनी रियासत को मुगलों, मराठों अथवा जाटों के हाथों में जाने से बचा लेना, जयसिंह जैसे बड़े जीवट वाले राजा का ही काम था। इस महान राजा को 43 स्थान की दीर्घ अवधि तक न केवल मुगल दरबार के षड़यंत्रों, मराठा सरदारों के धावों, जाट नेताओं के इरादों और पडौसी राजपूत रियासतों के विश्वासघातों का सामना करना पड़ा अपितु हिन्दू प्रजा, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान को संरक्षण देने के लिये विपुल धन, समय और संसाधन भी जुटाने पड़े। वह शस्त्र और शास्त्र का धनी था। प्रजा वत्सल था, शरणागत को अभय देने वाला था। भगवान विष्णु का भक्त था और निम्बार्क सम्प्रदाय में दीक्षित था। परिस्थितियों के हाथों विवश होकर उसे युद्ध लड़ने पड़े किंतु वह युद्धों का नहीं, शांति का दूत था। संभवत: औरंगजेब ने उसमें इस बहुमुखी प्रतिभा के दर्शन तब कर लिये थे, जब जयसिंह केवल आठ साल का था। इसीलिये औरंगजेब ने उसे आठ साल की आयु में ही युद्ध के मोर्चे पर भिजवाने के निर्देश दिये ताकि कुफ्र को उसके बचपन में ही मिटाया जा सके किंतु जयसिंह जीवित रहा और लम्बे समय तक भारत भूमि की सेवा करता रहा। यह पुस्तक उसी महान राजा सवाई जयसिंह को एक विनम्र श्रद्धांजलि है, जिसके बनाये पदचिह्नों पर आज भी भारतीय समाज चल रहा है और आगे बढ़ रहा है।
Yug Nirmata Sawai Jaisingh
युग निर्माता सवाई जयसिंह
Author : Dr. Mohanlal Gupta
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9789384168230
Publisher : Rajasthani Granthagar
₹99.00
Out of stock
Reviews
There are no reviews yet.