भारतीय पुलिस : जन सामान्य, राजनीतिज्ञ वकील और प्रेस पुलिस पर क्रूरता, निष्क्रियता और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं। इन आरोपों में कुछ सच्चाई होती है मगर अधिकांश आरोप जाँच से झूठे पाये जाते हैं। झूठी आलोचना करके हम उसमें सुधार की बजाय उसके मनोबल को गिराने का ही काम करते है। अब समय आ गया है जब जनता के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह विधि और व्यवस्था के रखवालों की पीड़ाओं, अभावों और विफलताओं में रूचि लेना शुरू करें। पुलिस का राजनीतिकरण हो गया है। अपराधीतत्त्व राजनीति में घुस आये हैं। पुलिस गलत काम करती है और उससे गलत काम करवाये जाते हैं। पुलिस हिरासत में मौत की घटनायें आम हो गई है। उसे बर्बर बना दिया गया है। पुलिस और जनता के सम्बन्धों में सुधार तभी संभव है, जब एक-दूसरे को समझे और मदद करें। प्रस्तुत ग्रन्थ में इन सभी ज्वलंत समस्याओं पर सूक्ष्मता और गहनता से विचार किया गया है। पुलिस की पीड़ाएँ, कमजोर वर्ग और पुलिस संरक्षण, दहेज और पुलिस, पुलिस में बढती अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार जैसे अछूते विषयों पर प्रभावी ढंग से लिखा गया है। यह कृति पुलिस और अन्य बलों के अलावा पुलिस के सम्बन्ध में रूचि रखने वाले आम नागरिकों के लिए भी ज्ञानवर्द्धक है।
Bhartiya Police
भारतीय पुलिस
Author : Chandanmal Nawal
Language : Hindi
Edition : 2015
Publisher : RG GROUP
₹200.00
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