विश्व की प्राचीन सभ्यताओं का इतिहास
आज, जबकि मानव समुदाय 21वीं सदी में प्रवेश कर चुका है तथा उनके द्वारा सफलता के नये-नये कीर्तिमान स्थापित किये जा रहे हैं। वैज्ञानिक खोजों, आविष्कारों उपलब्धियों और टेक्नोलॉजी ने सचमुच विश्व के समक्ष प्रभुत्व स्थापित करने की एक होड़सी लगा दी है। फलतः आधुनिक हथियारों के साथ-साथ अणु बम, हाइड्रोजन बम, मानव बम के द्वारा मानव ही मानव का अंत कर रहा है, जिसके कारण मानव सभ्यता एवं संस्कृति का विनाश हो रहा है। eventually यह कितनी विडंबना है कि जिस सभ्यता और संस्कृति के बल पर आज का मानव अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है, वहीं इसके लिए घातक भी साबित हो रहा है। Vishva Prachin Sabhyataon Itihas
also आज भी ज़रुरत है, प्राचीन सभ्यताओं तथा उनकी संस्कृति की रक्षा करने की। अगर सच पूछा जाये तो विश्व की सभ्यताओं के विकास से ही मानव विकास संभव हो पाया है। अतः उक्त विषय पर अधिक-से-अधिक शोध और अनुसंधान करने पर बल दिया जाना चाहिए। प्राचीन सभ्यताओं के इतिहास को काव्य के अतिरिक्त शायद ही कभी रुचिकर बनाया गया हो। फलतः विश्व का गौरवपूर्ण अतीत कतिपय विद्वानों को छोड़कर अज्ञात ही रहा। फिर भी कुछेक दशक से विज्ञानिकों, इतिहासकारों के अकथनीय प्रयत्नों ने प्राचीन विश्व की सभ्यताओं पर काफी प्रकाश डाला, परंतु उनके अनुसंधान प्रमुखतया विशषज्ञों तक ही सीमित रहे। परिणामस्वरूप विश्व की प्राचीन सभ्यताओं एवं संस्कृति की अक्षुण्ण उपलब्धियों से आज भी अनेक व्यक्ति अवगत नहीं है। बहुत से भारतीयों को न तो भारत की अतीत की गौरव गाथा ही मालूम है और न अन्य देश की सभ्यताओं के आधारभूत सिद्धांत ही।
Vishva Prachin Sabhyataon Itihas
surely आज विश्व के अनेक देश उत्कर्ष के मार्ग पर रथारूढ़ हुए चले जा रहे हैं तो हमारे लिए यह अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि हम विश्व की सभ्यताओं एवं संस्कृतियों को मानव के समक्ष प्रकट करें। अब तो विश्व के विभिन्न देश भी एक-दूसरे के संस्कृति के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं। वास्तव में विश्व की सभ्यता एवं संस्कृति ने मानव समुदाय को जो संबल प्रदान किया है उसके विषय में न जानना तथा उसे उपेक्षा की दृष्टि से देखना भी अपराध प्रतीत होता है। अतएव इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर तथा उक्त विषय में अत्यल्प पुस्तकों की उपलब्धता को देखकर मैंने ‘विश्व की प्राचीन सभ्यताओं का इतिहास’ पर प्रकाश डालने का साहस किया है।
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