मैं विद्यालय बोल रहा हूँ : प्रस्तुत लेखनी मेरे जीवन की उस यात्रा का वर्णन है, जिसका कर्ता भी मैं (विद्यालय) हूँ और कारक भी मैं (विद्यालय) ही हूँ। मैं, शिक्षक, विद्यार्थी, भवन एवं अभिभावक नामक चार महत्त्वपूर्ण स्तम्भों के सामंजस्य की कहानी भी हूँ तो वर्तमान दौर में लड़खड़ाते उसी सामंजस्य की दुहाई भी हूँ।
इस यात्रा में मेरे सुंदर से उपवन का विश्लेषण भी है एवं बंजर होती भूमि का अन्वेषण भी है। मेरे विविध आयामों का प्रस्तुतिकरण भी है तो भीतर छिपी असीमित संभावनाओं का प्रकटीकरण भी है। बदलते वक्त में व्यापक हो रहे मेरे परिवेश का प्रकट स्वरूप भी है तो बदलाव की संकीर्णताओं से मेरे भीतर उपजे आवेश का भयावह रूप भी है। मुझमे छिपी संस्कारों की सुहास का प्रतिफल भी है तो मेरे भीतर पनप रही व्यसन जैसी कुरीतियों का दावानल भी है। अविद्या से मिलने वाले भौतिक संसाधनों के महत्व का गहन चिंतन भी है तो विद्या के अभाव में लुप्त हो रहे मानवीय मूल्यों का मानस मंथन भी है।
मेरे अस्तित्व की खोज ही इस लेखन का मूल है जो मुझे और मेरे चारों स्तम्भों को मेरे अस्तित्व का बोध कराती है।
Main Vidhyalay Bol Raha Hoon
मैं विद्यालय बोल रहा हूँ
Author : Dr. Vivek Vijay
Language : Hindi
ISBN : 9789391446949
Edition : 2022
Publisher : RG Group
₹250.00
KAPISH VIJAY –
Bahut sundar her ek line bilkual jiwan ke school ki kahani bol rahi hai awesome 👌