बौद्धेतर दर्शनग्रन्थों में बौद्ध दर्शन : भारतीय दार्शनिक चिन्तन के विकास में बौद्धदर्शन का महत्त्वपूर्ण अवदान है। न्याय, वैशेषिक, मीमांसा, वेदान्त, योग, जैन, चार्वाक आदि विभिन्न भारतीय बौद्धेतर दर्शनग्रन्थों में कहीं पूर्वपक्ष के रूप में तो कहीं उत्तर-प्रत्युत्तर के रूप में बौधदर्शन का निरूपण हुआ है।
नागार्जुन, असंग, वसुबन्धु, दिङ्नाग, धर्मकीर्ति आदि प्रमुख बौद्ध दार्शनिकों तर्कों ने भारतीय दार्शनिकों के चिन्तन को झकझोरा है। यही कारण है कि बौद्धेतर दार्शनिक उनका निराकरण करने एवं अपने पक्ष को परिष्कृत करने लिए बौद्धदर्शन के सिद्धान्तों को अपनी लेखनी का विषय बनाते रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक में बौद्धेतर दर्शन-ग्रन्थों के आधार पर क्षणिकवाद, विज्ञानवाद (योगाचार-सम्प्रदाय), शून्यवाद (माध्यमिक सम्प्रदाय), अनात्मवाद, बाह्यार्थ भङ्गवाद, निर्विकल्पक प्रत्यक्ष प्रमाण, अनुमान (भ्रान्त ज्ञान) प्रमाण, अपोहवाद आदि सिद्धान्तों तथा सौत्रान्तिक एवं वैभाषिक सम्प्रदायों के सम्बन्ध में 25 शोध-निबन्धों के माध्यम से चर्चा हुई है। यह चर्चा गौतम के न्यायसूत्र, पतंजलि के योगसूत्र, वादरायण के ब्रह्मसूत्र, मल्ल्वादी के द्वादशारनयचक्र, कुमारिल भट्ट के श्लोकवार्तिक, हरिभद्रसूरी के शास्त्रवार्तासमुच्चय, भट्ट अकलङ्क के सिद्धिविनिश्चय, लघीयस्त्रय, प्रमाणसङ्ग्रह एवं न्यायविनिश्चय शङ्कराचार्य के ब्रह्मसूत्रभाष्य, वाचस्पतिमिश्र की न्यायवार्तिकतात्पर्य-टीका, न्यायकणिका एवं भामती, प्रभाचन्द्र के प्रमेयकमलमार्तण्ड, ब्रह्मसूत्र के वैष्णवभाष्यों, काश्मीर शैवग्रन्थों आदि के आधार पर की गई है। इसके अध्ययन से बौद्धदर्शन के सिद्धातों की महत्ता प्रकाशित हुई है तथा दार्शनिक इतिहास पर नई दृष्टि प्राप्त होती है।
परिशिष्ट के अन्तर्गत उन सभी भारतीय दार्शनिकों एवं दर्शनग्रन्थों की सूची दी गई है, जिनमें बौद्धदर्शन का सिद्धान्त चर्चित, समीक्षित अथवा परीक्षित हुआ है।
Bauddhetar Darshan Granthon Mein Bauddh Darshan
बौद्धेतर दर्शनग्रन्थों में बौद्ध दर्शन
Author : Dharmchand Jain
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 978818610325
Publisher : RG GROUP
₹400.00
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