मोहिल वंश का इतिहास
accordingly to the book मोहिल और राजपूत जाति, मोहिल और उनके पूर्वज चौहान, मोहिलवाटी : भौगोलिक परिचय, मोहिलवाटी: प्राचीन काल, मोहिल वंश की उत्पत्ति एवं विस्तार, छापर के मध्यवर्ती मोहिल राणा, मोहिलवाटी के पाश्र्व में नयी शक्तियों का उदय एवं संघर्ष, उत्तरवर्ती मोहिल राणा उनका शासनकाल, मोहिल राठौड़ संघर्ष, छापर युद्ध के बाद मोहिलों की स्थिति, लाडनूं और मोहिल राणा, मोहिलों के कुछ पुराने स्थान, मोहिल राणाओं की हैसियत एवं राज्य विस्तार और शासन पद्धति, मोहिलों के स्मारक व अभिलेख एवं अन्य सम्बन्धित लेख, राव जयसिंह और उसकी संतति, मोहिलों के निर्माण, प्रथम परिशिष्ट-वीरांगना कोड़मदे की प्रेमकथा, द्वितीय परिशिष्ट-तत्कालीन राजनैतिक स्थिति, तृतीय परिशिष्ट-चायलों की उत्पत्ति एवं वंश विस्तार, चतुर्थ परिशिष्ट-डाॅ. देसाई का अभिमत एवं उसका परीक्षण, पंचम परिशिष्ट-मोहिलों की वंशावली: भाटों का वृत्त आदि का संकलन। Mohil Vansh Ka Itihas
प्रस्तावना (Mohil Vansh Ka Itihas)
surely मोहिल वंश चौहानों की एक शाखा हैं। इस वंश के अधीन मध्यकाल में राजस्थान का विस्तृत भूभाग रहा है। इन्होंने राजस्थान के इस भूभाग पर लम्बे समय तक स्वतंत्र शासकों के रूप में शासन किया है। इतना होते हुए भी इनका विवरण राजस्थान के इतिहास का एक अंग नहीं बन सका है। यह एक दुःखद विडम्बना ही है ।
additionally किसी भी इतिहास में जिस शासक जाति का विवरण समाहित किया जाता है उसके दो आधार भूत लक्षण होते हैं। प्रथम लक्षण यह कि उस जाति ने एक विस्तृत भूभाग पर शासन किया हो। दूसरा लक्षण यह है कि यह शासन कई शताब्दियों तक विद्यमान रहा हो। राजस्थान के इतिहास ग्रंथों में इन्हीं दो मूलभूत विशेषताओं के कारण राठौड़ों, चौहानों, कच्छवाहा, सिसोदियों आदि शासक जातियों का वृत्त समाहित किया गया है। ये दोनों विशेषताओं की विद्यमानता होते हुए भी मोहिलों के वृत्त का प्रदेश के राजनैतिक इतिहास में समाहित नहीं किया जाना एक ऐसा कदम है, जिसे एक बड़ा और चिंतनीय अभाव माना जा सकता है। Mohil Vansh Ka Itihas
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